
किस हाल में है जर्मनी के क्रूर तानाशाह हिटलर की कब्र, क्या वहां जाते हैं लोग?
Mar 20, 2025
बर्लिन । एडोल्फ हिटलर जैसे व्यक्ति के बारे में क्या कहा जाए। जो लाखों यहूदियों की मौत के लिए जिम्मेदार है। बहरहाल जर्मन सरकार ने 2006 तक हिटलर के अंतिम विश्राम स्थल के बारे में चुप रहना ही बेहतर समझा। फिर उन्होंने खुलासा किया कि हिटलर को बर्लिन में ऐसी जगह दफनाया गया था, जहां एक साधारण पार्किंग स्थल है।
वहीं, दूसरी ओर साल 2012 में ऑस्ट्रिया में एडोल्फ हिटलर के माता-पिता अलोइस और क्लारा की कब्र पर लगे पत्थरों को हटा दिया गया, ताकि दक्षिणपंथियों द्वारा इसका उपयोग तीर्थस्थल के रूप में बंद किया जा सके। यह कब्र लिंज़ शहर से 10 किमी दूर लियोनडिंग में है। लियोनडिंग के मेयर वाल्टर ब्रूनर ने बताया कि परिवार के एक वंशज ने यह निर्णय लिया था। एडोल्फ हिटलर का जन्म 100 किमी दूर ब्राउनाऊ के पास हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश बचपन लियोनडिंग में बिताया। पादरी कर्ट पिटरशैचर ने कहा, “जैसे-जैसे समय बीतता गया, कब्र का रखरखाव कठिन होता गया। कब्र का दुरुपयोग समर्थकों की सभाओं के लिए होता रहा। यह पता नहीं चल पाया है कि कब्र में रखे अवशेषों का क्या हुआ। अब उस जगह पर एक सफेद बजरी का चौक और एक पेड़ है।
साल 1945 की शुरुआत में, जब ऐसा लगा कि जर्मन द्वितीय विश्व युद्ध हार रहे हैं, हिटलर और उनके भरोसेमंद नाजी नेताओं और उनके परिवारों का एक समूह बर्लिन में हवाई हमले से बचने के लिए बनाए गए एक बंकर में भूमिगत हो गए। इस बंकर को फ्यूहररबंकर के नाम से जाना जाता है, जो उनके मुख्यालय में स्थित था। यहीं पर वह द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम सप्ताह तक रहा, जहां उसने 29 अप्रैल को ईवा ब्राउन से शादी की और फिर दो दिन से भी कम समय बाद दोनों ने मिलकर आत्महत्या कर ली। बाद में हिटलर और उसकी पत्नी को बंकर से बाहर निकाला गया और उनके शवों को पास के बगीचे में जला दिया गया।
हिटलर की मौत के बाद, सोवियत ने आस-पास की इमारतों को जला दिया, जो उस समय नाजी अभियानों का हिस्सा थीं, लेकिन वे बंकर को नष्ट नहीं कर सके। बर्लिन की दीवार गिरने तक यह क्षेत्र वीरान पड़ा रहा और सरकार को कई ऐसे सबूत मिले, इससे उन्हें पता चला कि ये जगह हिटलर का अंतिम घर था। उन्होंने बंकर के कुछ हिस्सों को नष्ट करने का प्रयास किया। बंकर की खोज का मतलब था कि उन्होंने हिटलर के अंतिम विश्राम स्थल की खोज कर ली थी। जर्मन सरकार को डर था कि इस जानकारी की घोषणा करने से दुनिया भर के नव-नाजी हिटलर को श्रद्धांजलि देने के लिए आकर्षित होंगे।