मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर: ईरान, इजरायल के अलावा अमेरिका और चीन भी दिखा रहे आंखें

तेहरान । चीन का इजरायल-ईरान संघर्ष में खुलकर सामने आना मिडिल ईस्ट में नया मोर्चा खोल सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि इजरायल और ईरान के बीच सैन्य टकराव होता है, तो यह पूरे मिडिल ईस्ट को बड़े संघर्ष की ओर धकेल सकता है, जिसका प्रभाव वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। कुल मिलाकर मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर है और ईरान, इजरायल के अलावा अमेरिका और चीन भी एक दूसरे को आंखे आंखें दिखाते नजर आ रहे हैं।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हाल ही में चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनका देश इजरायल के किसी भी संभावित हमले के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने इजरायल को चेतावनी देते हुए कहा, मैं आशा करता हूं कि इजरायल ऐसी लापरवाह कार्रवाई से बचे, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर युद्ध शुरू हो सकता है। अराघची का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब इजरायल और ईरान के बीच हालिया मिसाइल और ड्रोन हमलों को लेकर तनाव चरम पर है। पिछले एक साल में इजरायल ने ईरान पर दो बड़े हमले किए हैं। 1 अक्टूबर को इजरायल पर हुए बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के जवाब में उसने 26 अक्टूबर को ईरान की मिलिट्री फैसिलिटी पर हमला किया। इससे पहले, अप्रैल में इजरायल ने ईरान की एक एयर डिफेंस बैटरी को निशाना बनाया था, जो एक परमाणु साइट के पास स्थित थी।

ईरान पर परमाणु हथियार विकसित करने के आरोपों के बीच यह घटनाक्रम और अधिक संवेदनशील हो गया है। इसके साथ ही, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण की तैयारी के चलते क्षेत्रीय राजनीति और जटिल हो गई है। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान के प्रति सख्त रुख अपनाया था और 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया था। 

अराघची ने अपने इंटरव्यू में चीन का समर्थन लेते हुए कहा कि ईरान कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाएगा और अपने सहयोगियों, विशेष रूप से चीन से परामर्श करेगा। उन्होंने कहा, कारण और समझदारी अंततः काम करेगी और ऐसी कार्रवाइयों को रोकेगी जिनके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी ईरान का समर्थन करते हुए 2015 के परमाणु समझौते की वकालत की। वांग ने ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना की और कहा कि बीजिंग तेहरान के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस बढ़ते तनाव में, क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। 


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