टाटा संस के एनबीएफसी रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के आवेदन की हो रही जांच

Jan 20, 2025

नई दिल्ली । टाटा संस द्वारा एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) के रूप में रजिस्ट्रेशन को कैंसिल करने के आवेदन की भारतीय रिजर्व बैंक जांच कर रहा है। इसकी पुष्टि भारतीय रिजर्व बैंक ने भी की है।

 टाटा संस, जो कि टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है, ने पहली बार अपनी इस जाँच के बारे में जानकारी दी है। यह कदम टाटा ग्रुप के लिए खास मायने रखता है, क्योंकि वह अपनी होल्डिंग कंपनी को लिस्टिंग से बचाना चाहता है। आरबीआई ने अपनी एनबीएफसी की लिस्ट जारी करते समय यह खुलासा किया कि टाटा संस को एनबीएफसी-अपर लेयर के रूप में वर्गीकृत किया गया था और नई लिस्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके बावजूद, आरबीआई ने यह साफ किया है कि टाटा संस को एनबीएफसी-यूएल की सूची में शामिल करना उसके पंजीकरण रद्द करने के आवेदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा। आरबीआई  ने यह भी बताया कि यदि किसी एनबीएफसी को एनबीएफसी-यूएल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो उसे कम से कम पांच साल तक अतिरिक्त रेगुलेटरी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, भले ही यह बाद में इस लिस्ट से बाहर हो जाए। 

टाटा संस अब खुद को एनबीएफसी-कोर निवेश कंपनी के क्लासिफिकेशन से बाहर निकलने और अपर लेयर वाली एनबीएफसी की लिस्ट से बचने के लिए अपने कर्ज को कम कर रही है। आरबीआई के नियमों के अनुसार यदि टाटा संस अपर लेयर वाली एनबीएफसी बनी रहती है, तो उसे सितंबर 2025 तक लिस्ट होना होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि टाटा संस को अपनी होल्डिंग्स को कम करने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचने की आवश्यकता पड़ी, तो यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ बन सकता है। 



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