बच्चों के व्यवहार का रखें ध्यान

बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध को देखते हुए माता-पिता को खासतौर से सचेत रहने की जरूरत है। जहां एक ओर बच्चों को गुड टच और बैड टच जैसी चीजे सिखाने की आवश्यकता है, वहीं अभिभावक अपने बच्चों के व्यवहार पर भी नजर रखें। हाल के दिनों में कई जगहों पर स्कूलों में बच्चों के साथ हुए हादसों ने उनकी सुरक्षा की पोल खोल दी है।  

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी घटनाओं से बच्चों में डर पैदा होता है। इससे पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर का खतरा बढ़ता है।

लेकिन हमें उन्हें इसी समाज में रखना है और जीना सिखाना है। इसलिए उन्हें डरने की बजाए लड़ना सिखाएं और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। यदि बच्चों में ये पांच लक्षण दिखते हैं तो उसे गंभीरता से लेते हुए बच्चे से जरूर बात करें। जरूरत हो तो उन्हें मनोवैज्ञानिक के पास लेकर जाएं और स्कूल से भी बात करें1

बच्चा खोया-खोया रहता है। खूब बातचीत करने वाला बच्चा अचानक चुप-चुप रहने लगे और किसी से बात करना उसे पसंद ना आए तो समझें कुछ गड़बड़ जरूर है। बच्चे से बातचीत करें, उसे यह भरोसा दिलाएं कि आप उससे अलग नहीं हैं और किसी भी हाल में आप बच्चे से नाराज नहीं होंगे चाहे बात कितनी भी बड़ी क्यों ना हो।

छोटी-छोटी बात पर नाराज होना यह मानव स्वभाव है, जिसमें व्यक्ति को गुस्सा तभी आता है जब वह अंदर से परेशान होता है. अगर आपका खुशमिजाज बच्चा आजकल हर छोटी-छोटी बात पर रोने लगता है या गुस्सा करता है तो समझ लें कि कुछ ऐसा है जिसके बारे में आपको नहीं पता। बच्चे से बात करें और जानने की कोशिश करें। बच्चे के स्कूल से बात करें। हो सकता है स्कूल में उसके साथ गलत व्यवहार हो रहा हो।

बच्चों को नींद ना आना इस बात को बहुत बड़ा संकेत है कि वह अंदर तक डरा हुआ है। इसे हल्के में ना लें और तुरंत मनोवैज्ञानिक से मुलाकात करें। बच्चे के मन से जितनी जल्दी हो उसका डर बाहर निकालें। आपका बच्चा अचानक सबसे कटा-कटा रहने लगे। अकेले रहने लगे तो भी चिंता की बात है क्योंकि बच्चे ऐसा तभी करते हैं जब वो अंदर तक किसी बात से सहमे होते हैं।अगर आपका बच्चा किसी खास व्यक्ति को नजरअंदाज करता है तो उसे छोटी बात ना समझें और ना ही बच्चे को उस व्यक्ति से बात करने को मजबूर करें, पता करें कि वो ऐसा क्यों कर रहा है। 



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