हुकमचंद मिल के सैकडों मजदूरों को नहीं हुआ भुगतान
Feb 26, 2024
अब तक सिर्फ 1400 मजदूरों को ही मिला पैसा
भोपाल । दो महीने बाद भी हुकमचंद मिल इंदौर के हजारों मजदूर अपने बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। यह हाल हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद है। अब तक सिर्फ 1400 मजदूरों को ही पैसा मिला है। हुकुमचंद मिल के 5895 मजदूरों और उनके स्वजन को भुगतान होना है। कभी दस्तावेजों के सत्यापन के नाम पर तो कभी वेतन पर्ची के नाम पर भुगतान अटकाया जा रहा है। मजदूरों की समस्या यह है कि वे 33 वर्ष पुरानी वेतन पर्ची कहां से लाएं। 26 फरवरी को हुकमचंद मिल मामले में हाई कोर्ट में फिर सुनवाई होनी है।
मजदूरों का कहना है कि वे वेतन पर्ची की अनिवार्यता को समाप्त करने और जीवित मजदूरों को तुरंत भुगतान की मांग करेंगे। 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल प्रबंधन ने मिल बंद कर दिया था। उस समय मिल में 5895 मजदूर काम करते थे। मिल बंद होने के बाद से ये मजदूर अपने बकाया भुगतान के लिए भटक रहे थे। हाल ही में नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल द्वारा मिल की जमीन पर संयुक्त रूप से आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति बनने के बाद मजदूरों के भुगतान की राह साफ हुई है। कोर्ट के आदेश के बाद गृह निर्माण मंडल ने मजदूरों के भुगतान के लिए 217 करोड़ 85 लाख रुपये परिसमापक के खाते में 20 दिसंबर 2023 को ही जमा करा दिए थे।
इसके बाद मजदूरों को उम्मीद थी कि 10-15 दिन में उनका भुगतान बैंक खाते में पहुंच जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश के मुताबिक, अब तक सिर्फ 1400 मजदूरों को ही भुगतान मिला है। बाकी मजदूर अब भी अपने पैसा का इंतजार कर रहे हैं। मजदूर नेता श्रीवंश ने बताया कि फिलहाल जिन 1400 लोगों को भुगतान मिला है, वे मिल के मजदूर थे जो जीवित हैं। मिल बंद होने के बाद से 2200 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो चुकी है। इनकी पत्नियों को भुगतान होना है। जांच समिति मजदूरों की वेतन पर्ची मांग रही है। समस्या यह है कि परिवार के लोग 33 वर्ष पुरानी वेतन पर्ची कहां से लाएंगे। 484 मामले ऐसे भी हैं, जिनमें मजदूर और पत्नी दोनों की मौत हो चुकी है। हमारी मांग यह है कि जिन मजदूरों को वर्ष 2017 में भुगतान हो चुका है, उनके लिए दस्तावेजों और वेतन पर्ची की अनिवार्यता समाप्त की जाए।