जीर्णोद्धार के बाद आज गोलघर का लोकार्पण करेंगे सीएम

Mar 15, 2024

एक बार फिर बिखरेगी कला-संस्कृति की रौनक

   भोपाल । 154 साल पुराने राजधानी के गोलघर के जीर्णोद्धार के बाद आज प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उसका लोकार्पण करेंगे। गोलघर में एक बार पुन:  कला-संस्कृति की रौनक बिखरेगी। गोलघर नए सिरे से सज-संवर कर तैयार है। गोलघर में पुराने भोपाल की सभी कला परंपराओं के साथ ही परी बाजार को भी पुनर्जीवित किया जाएगा। परी बाजार महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है, जो भोपाल की बेगमों द्वारा महिलाओं के माध्यम से महिलाओं के लिए संचालित किया जाता था। यहां एक संग्रहालय और पुस्तकालय बनाने की भी योजना है। पुराने भोपाल की विरासत गोलघर को एक कला और शिल्प केंद्र के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। इस इमारत के जरिए स्थानीय कला और कारीगरों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इनमें चारबैत, कव्वाली, जरी-जरदोजी, व्यंजन आदि शामिल हैं।

मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पण करने के बाद इस पुनर्निर्मित गोलघर को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। राज्य पुरातत्व विभाग के पुरातत्ववेत्ता डा रमेश यादव ने बताया कि जीर्णोद्धार के लिए बुझे हुए चूने, गोंद और गुड़ के मिश्रण का उपयोग किया गया है। इस मिश्रण में उड़द, मेथी और बेल के पत्तों के पाउडर के साथ पानी मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया गया, जिसका उपयोग ईंटों को जोड़ने के लिए सीमेंट के स्थान पर किया गया है। यानी नवाबकालीन वास्तुकला के अनुसार जैसा वह पहले था, उसे उसी रूप में विकसित किया गया है। इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण 1869 में भोपाल रियासत की तत्कालीन शासक शाहजहां बेगम ने अपने कार्यालय के रूप में उपयोग के लिए किया था।

जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, गोलघर का आकार गोल है और इसमें 33 दरवाजे हैं। इतिहासकारों के मुताबिक गोलघर वह जगह है, जिसे कभी गुलशन-ए-आलम के नाम से जाना जाता था। संचालनालय पुरातत्व, संग्रहालय और अभिलेखागार और मप्र पर्यटन निगम द्वारा चार करोड़ रुपये की लागत से गोलघर का संरक्षण और संवर्धन किया गया है। गोलघर के परिसर में एक संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा। संग्रहालय में 1958 के बाद से राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थलों से खोदाई में मिले पुरावशेषों को प्रदर्शित किया जाएगा। इन पुरावशेषों की संख्या 10,000 से अधिक है और इनमें पत्थर, धातु और हाथी दांत से बने आभूषण, मिट्टी के बर्तनों के अवशेष, सिक्के, खिलौने आदि शामिल हैं। ये वस्तुएं मंदसौर, भोपाल, खंडवा, खरगोन, रायसेन, सीहोर, बड़वानी और जबलपुर के स्थलों से खोदाई में मिली हैं। 


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