कुष्ठ रोगियों को दी गई 50 बीघा जमीन हड़पने का प्रयास, सरपंच पर भी धमकाने का आरोप
Jan 07, 2025
::कलेक्टर कर रहे जिले को भिक्षुक मुक्त बनाने का प्रयास, भूमाफिया उजाड़ रहे भिक्षुक पुनर्वास::
इन्दौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जिले में भिक्षावृत्ति पर पूर्णतः रोक लगाने के प्रयासों के बीच भूमाफिया द्वारा भिक्षावृत्ति कर जीवन यापन करने वाले कुष्ठ रोगियों को पुनर्वास के साथ गुजारे के लिए दी गई जमीन हड़पने के प्रयास का मामला सामने आया है। भूमाफियाओं के साथ इस तरह के जमीन के इस खेल में गांव के सरपंच पर भी उंगलियां उठ रही है। रहे हैं। मामला ग्राम अलवासा की 50 बीघा जमीन का है जिसमें तात्कालिक कलेक्टर अजीत जोगी ने भिक्षा मांग जीवन यापन करने वाले कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास हेतु दी गई थी जहां वे अब गेहूं की खेती कर जीवन गुजार रहे हैं।
जिस पर अब मालपानी वाटर पार्क बनाने वाले ने अपना हक जताते जमीन को अपना बताया है। मामले में रामअवतार कुष्ठ आश्रम ग्राम अलवासा के संचालक ने कलेक्टर आशीष सिंह को शिकायती की है। कुष्ठ आश्रम के संचालक ने अपने शिकायती पत्र में कलेक्टर को लिखा है कि इंदौर में रहने वाले कुष्ठ रोगी, जो पूर्व में भिक्षावृत्ति के माध्यम से जीवन यापन कर रहे थे, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए तत्कालीन कलेक्टर अजीत जोगी ने लगभग 50 बीघा जमीन अलवासा और पालिया गांव की कांकड़ पर दी थी। इस जमीन पर सैकड़ों कुष्ठ परिवार खेती कर अपना व परिवार का पालन वर्षों से करते आ रहे हैं। शासन द्वारा दी गई कांकड़ की इस सरकारी भूमि के दस्तावेज भी अपने शिकायत पत्र के साथ कलेक्टर को प्रस्तुत करतें उन्होंने पत्र में लिखा है कि उक्त भूमि पर वर्तमान में गेहूं की फसल लगाई गई है।
लेकिन पास ही बनने वाले मालपानी वाटर पार्क के संचालक द्वारा उक्त भूमि पर कब्जा करने का प्रयास करते हुए खड़ी फसल के बीच बाउंड्रीवॉल बनाने के लिए सरिए गाड़ दिए। विरुद्ध करने पर वाटर पार्क संचालक का कहना है कि यह जमीन उनकी है, जबकि कुष्ठ रोगी लंबे समय से उस जमीन पर खेती कर रहे हैं। यही नहीं संचालक ने कलेक्टर को लिखे अपने पत्र में बताया पालिया गांव के सरपंच राजेंद्र मंडलोई पर भी आरोप लगाते हुए लिखा है कि सरपंच द्वारा जमीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास करते हुए उन्हें धमकाया जा रहा हैं। कुष्ठ आश्रम संचालक ने शासन द्वारा उन्हें दी गई जमीन के दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा है कि उन्हें दी गई जमीन का सीमांकन कर उन्हें बता दिया जाए कि वे कहां तक खेती कर सकते हैं। यदि जमीन वाटर पार्क के स्वामित्व की है तो वह सहर्ष देने को तैयार हैं। मामले में कलेक्टर ने एसडीएम को जांच के निर्देश दिए हैं।