क्यों खतरे में है एक बार फिर मासूम, घर से निकलना मुश्किल
Okt 01, 2024
- आरोपियों को फांसी की सजा का भी डर नहीं
-प्रदेश में एक बार फिर मासूम बच्चियों को दरिंदों ने अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। आलम यह है कि कभी घर के बाहर तो कभी स्कूल के वॉशरुम में मासूम बच्चियों को दरिंदों ने हवस का शिकार बनाया है। रेप के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब बेटियों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। पांच साल की मासूम बच्चियों को भी दरिंदे नहीं छोड़ रहे। बीते कुछ समय में मध्यप्रदेश में रेप के कई मामले सामने आए हैं। बढे हुए रेप केस को देखते हुए यह स्पष्ट है कि, आरोपियों को अब फांसी की सजा का भी डर नहीं है।
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केस: वन
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दिन - 23 सितंबर 2024
जगह - मध्यप्रदेश का हरदा
हरदा के सिराली में 5 साल की बच्ची नदी किनारे बेहोश मिली। जानकारी मिलने पर पुलिस के साथ परिजन बच्ची को अस्पताल ले गए। यहां जांच करने पर पता चला कि, बच्ची के साथ रेप हुआ है। आरोपी बच्ची को कुरकुरे दिलाने का कहकर ले गया था और दुष्कर्म कर फरार हो गया। इस आरोपी को ढूंढने के लिए पुलिस अब भी प्रयास कर रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि, कुछ समय पहले ही यह आरोपी रेप केस में सजा काट कर जेल से बाहर आया था।
केस -2
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दिन - 23 सितंबर 2024
जगह - प्रदेश की राजधानी भोपाल
भोपाल के शाहजहानाबाद में एक बच्ची अपनी दादी के साथ घर के बाहर निकली। पांच साल की छोटी बच्ची किताब लेने के लिए घर वापस आई तो रहस्य्मयी तरीके से गायब हो गई। 72 घंटे तक सैकड़ों पुलिस वाले उसे ढूंढते रहे लेकिन 26 सितंबर को उसकी सड़ी गली लाश उसके पड़ोसी के घर में ही मिली। पड़ोसी ने मौके का फायदा उठाकर बच्ची से पहले रेप किया फिर उसका गाला घोंटकर अपना दुष्कर्म छुपाना चाहा। इस पूरी वारदात को अंजाम देने में आरोपी को महज 35 मिनट लगे थे। इन 35 मिनट में फूल सी मासूम बच्ची के साथ गलत काम किया और उसकी जान भी ले ली। आरोपी की मां और बहन ने बच्ची की लाश छुपाने में उसका पूरा साथ दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि, बच्ची की मौत गला घोंटे जाने से नहीं बल्कि ज्यादा खून बहने से हुई थी। बच्ची के प्राइवेट पार्ट से रेप के बाद अत्यधिक खून बह गया था।
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भोपाल। हैरानी की बात तो यह है कि एक ही तारीख पर मध्यप्रदेश में रेप की दो वारदात हुई लेकिन बीते कुछ समय में मध्यप्रदेश में मासूम बच्चियों से रेप के ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं। तारीख, जगह और बच्चियों के नाम बदल रहे हैं लेकिन हालत में सुधार नहीं हो रहा है। बीते कुछ दिनों में मध्यप्रदेश में बच्चियों से रेप के कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जिनके बारे में जानकर आप यह सोचने में मजबूर हो जाएंगे की हमारे समाज में विकृत मानसिकता वाले लोगों की भरमार है। ऐसे आरोपियों न कानून का डर है न सजा का। ये आरोपी कभी शिक्षक, कभी पड़ोसी तो कभी एक नॉर्मल इंसान की तरह आपके और हमारे बीच में रहते हैं लेकिन मौका मिलते ही गलत काम को अंजाम दे देते हैं।
फांसी का भी डर नहंी ....
रेप की ऐसी घटनाएं ऐसे समय पर हो रहीं हैं जब कानून के तहत आरोपियों को फांसी का प्रावधान है। मध्यप्रदेश में रेप केस के मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुने जाते हैं। बावजूद इसके आरोपी लगातार महिलाओं और बच्चियों को अपना निशाना बना रहे हैं। इससे पहले 18 सितंबर को भोपाल में रेप का एक मामला सामने आया था। भोपाल के एक प्राइवेट स्कूल में एक टीचर ने पांच साल की बच्ची से स्कूल के वाशरुम में ही रेप किया था। पुलिस द्वारा जांच में पाया गया था कि, आरोपी ने बहुत से पोर्न वीडियो देखे थे। आरोपी इस समय जेल में है। बच्ची के माता - पिता अब अपनी बेटी को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। उन्हें इंतजार है कि, रेप के आरोपी को फांसी की सजा मिले। इसी तरह से भोपाल के ही ऐशबाग थाना क्षेत्र में एक स्कूल वैन में पांच साल की बच्ची बैड टच का शिकार हुई थी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी। बच्ची द्वारा इस मामले पर कोई बयान न दे पाने के कारण आरोपी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
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यह वह मामले हैं जिनकी चर्चा मध्यप्रदेश में खूब हुई लेकिन कई ऐसे मामले हैं जिनकी चर्चा बहुत अधिक नहीं हुई। माइनर बच्चों के रेप के अलावा कई महिलाओं के साथ भी आए दिन रेप और गैंगरेप हो रहा है। ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि, इन आरोपियों को अब फांसी या जेल का डर नहीं है। रेप के मामलों में असल वजह मानसिकता है जिसके कारण महिलाएं रेप का शिकार हो रहीं हैं।
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कया कहते हैं एक्सपर्ट
अगर कोई व्यक्ति बचपन में सेक्सुअल असॉल्ट या यौन उत्पीड़न का शिकार होता है तो संभव है कि, वह बाद में दूसरे लोगों को सेक्सुअली असॉल्ट करे।
इसके अलावा रिलेशनशिप फेलियर भी कई बार रेप का कारण बन सकता है। कुछ केस में रेपिस्ट या तो अपनी पत्नी से अलग रह रहे होते हैं या उनका तलाक हो चुका होता है। जब तक अपराधी के मन में डर नहीं होगा वह अपनी मनमानी से बाज नहीं आएगा।
- अभय वर्मा, क्लीनिकल फिजियोलॉजिस्ट आरसीआई ट्रॉमा फोकस थेरेपिस्ट)