गाड़ियां एचआईवी हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण यूं पकड़ लेगी

Jun 09, 2025

नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय का संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र एक नई जांच किट बना रहा है। यह किट रक्तदान से पहले काम आएगी। इससे सिर्फ दो मिनट में चार संक्रमणों की जांच हो सकेगी। इनमें एचआईवी-1 और एचआईवी-2 भी शामिल हैं। किट की मदद से यह पता लगाना आसान होगा कि रक्तदाता को कोई संक्रमण है या नहीं। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 4 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। डीयू से जुड़े वैज्ञानिकों का यह प्रोजेक्ट वर्ल्ड फर्स्ट चैलेंज नामक पहल के तहत भेजे गए प्रस्ताव में स्वीकृत हुआ था। इसे इसी वर्ष मई में मंजूरी मिली है। प्रोजेक्ट पर डीयू के पूर्व बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार चौधरी व अनुसंधान केंद्र की निदेशक प्रो. अमिता गुप्ता के नेतृत्व में काम हो रहा है। प्रो. विजय कुमार चौधरी का कहना है कि देश में संक्रमण के कारण हर साल बड़ी मात्रा में रक्तदाताओं का खून फेंका जाता है। जांच से इसे बचा सकते हैं। प्रो.चौधरी बताते हैं कि भारत में हर साल 1.2 करोड़ यूनिट रक्त का संग्रह होता है, जो प्रति 1000 जनसंख्या पर 10 यूनिट है।

ऐसे में संक्रमित रक्त एकत्रित होने की स्थिति में संग्रह, परिवहन व प्रोसेसिंग के दौरान संक्रमण का खतरा बना रहता है। अगर खून संक्रमित पाया जाता है, तो उसे नष्ट करना पड़ता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी होती है। प्रो. चौधरी के अनुसार, टेस्ट के दौरान किट शरीर में एचआईवी के एंटीबॉडी को पहचानता है। जब यह टेस्ट किया जाता है, तो खून में एंटीबॉडी हैं या नहीं, यह आंखों से ही साफ दिखता है। यह तकनीक प्रोटीन पर आधारित है। इससे चार बीमारियों की जांच की जा सकती है, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और सिफिलिस। यह टेस्ट गांवों में बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसकी सटीकता साबित हो चुकी है। इसे 1200 से ज्यादा खून के नमूनों पर परखा गया है। प्रो. गुप्ता कहती हैं कि यह तकनीक भारत ही नहीं, दुनिया केे लिए उपयोगी साबित हो सकती है।


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