चाचा-भतीजी ने की आत्महत्या, भतीजी ने लगाए थे छेडछाड के आरोप
Jan 01, 2024
सुसाइट नोट में गलत फंसाया लिखकर फंदे से झूला आरोपी चाचा
भोपाल । पहले भतीजी ने चाचा पर छेडछाड का आरोप लगाकर जहर खा लेने से उसकी मौत हो गई। उसके बाद चाचा ने भी सुसाइट नोट में मुझे गलत फंसाया लिखकर फांसी के फंदे पर झूल गया। इस तरह एक दिन के अंतराल से एक ही घर से दो अर्थियां उठने से लोग शोक में डूब गए। यह मामला विदिशा जिले के ग्यारसपुर थाना अंतर्गत ग्राम बरखेड़ा का है। तीन दिन पहले अपने चाचा पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली छात्रा की उपचार के दौरान शनिवार को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मौत हो गई है। छात्रा ने कालेज के बाहर जहरीला पदार्थ खाया था इसके बाद उसे विदिशा से भोपाल रेफर कर दिया था।
इधर आरोपित चाचा ने भी जंगल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वहीं छात्रा की चाची को 306 में आरोपित बनाकर पुलिस ने उसे जेल भेज दिया है। दो दिन के अदंर ही पूरा परिवार तहस नहस हो गया। गुरूवार की दोपहर में ग्यारसपुर थाना अंतर्गत ग्राम बरखेड़ा की रहने वाली शासकीय कन्या महाविद्यालय की छात्रा ने कालेज गेट के पास ही जहरीला पदार्थ खाया था। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में गंभीर हालत होने पर उसे हमीदिया अस्पताल भोपाल रेफर कर दिया था, जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। उसके पास मिले सुसाइट नोट में उसने चाचा पर छेड़छाड़ और मारपीट करने के आरोप लगाए थे। इधर घटना के बाद से उसके चाचा और चाची फरार चल रहे थे, शनिवार को जब भोपाल से छात्रा की मौत की खबर आई तो चाचा वीर सिंह ने भी जीवन समाप्त कर लिया। उसने भी सुसाइड नोट लिखकर जंगल में जाकर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। सुसाइड नोट में उसने अपने आप को निर्दोश बताया है।
ग्यारसपुर थाना प्रभारी मांगीलाल भाटी ने बताया कि चाचा का शव भैरोंपुर के जंगल में मिला। संभवत: उसने शनिवार की शाम को फांसी लगाई होगी। रविवार सुबह सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। दोपहर में उसके शव का पोस्टमार्टम कराकर स्वजनों को सौंप दिया है। छात्रा के बयानों में चाची पर भी आरोप लगाए गए हैं जिसके चलते उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। सीएसपी राजेश तिवारी ने बताया कि मृतक चाचा वीर सिंह के पास से मिले सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि भतीजी ने उसे गलत फंसाया है। यदि वह जिंदा होती तो मैं कोर्ट जाकर अपना पक्ष रखता और निर्दोष साबित हो जाता, लेकिन अब उसकी मृत्यु हो चुकी है। ऐसी स्थिति में पुलिस सहित समाज के सभी लोग मुझे आरोपित मानेंगे। इस जिल्लत भरी जिंदगी जीने से अच्छा है कि मैं भी मौत को गले लगा लूं।