
अनधिकृत निर्माण मामला: ईडी ने वसई-विरार में 13 जगहों पर छापे मारे
May 15, 2025
- नेताओं, मनपा अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से हुआ अवैध निर्माण
- निष्पक्ष जांच हुई तो कई लोगों के जाँच की आंच में आने की संभावना
मुंबई, । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई से सटे वसई-विरार इलाके में अनधिकृत निर्माण मामले में छापेमारी की। बताया गया है कि ईडी वसई-विरार इलाके में ध्वस्त की गई 41 अनधिकृत इमारतों के मामले में बुधवार सुबह से छापेमारी शुरू की है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में ईडी वसई विरार इलाके में कुल 13 जगहों पर तलाशी अभियान चला रही है। इस छापेमारी से वसई-विरार के राजनीतिक क्षेत्र और महानगरपालिका गलियारे में हड़कंप मचा है। अब इस जाँच की आंच में कौन कौन आएंगे इसपर सबकी नजरें हैं। ज्ञात हो कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद वसई- विरार में महानगरपालिका की आरक्षित जमीन पर अवैध रूप से बनी 41 इमारतों के खिलाफ महानगरपालिका ने कार्रवाई की। इन 41 इमारतों में रहने वाले 2,500 से अधिक नागरिक बेघर हो गए। इस मामले में मीरा-भयंदर, वसई-विरार पुलिस आयुक्तालय में केस दर्ज किया गया था। चूंकि मामला बड़ा था, इसलिए इसमें ईडी ने एंट्री मारी। अब ईडी द्वारा इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। सूत्रों ने बताया कि ईडी को कुछ सुराग मिले, जिसके आधार पर ईडी ने छापेमारी शुरू की। बुधवार सुबह बहुजन विकास अघाड़ी के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता के संतोष भवन स्थित घर और कार्यालय पर छापेमारी की गई। ईडी ने अंबावाड़ी में विवादित व्यवसायी के रूप में जाने जाने वाले विवेक तिवारी के घर और नालासोपारा के मधुबन इलाके में प्रसिद्ध व्यवसायी अनिल गुप्ता के घर पर भी छापेमारी की। इस दौरान ईडी के अधिकारी पांच घंटे से अधिक समय तक घर में दस्तावेजों की जांच करते रहे। प्रारंभिक जानकारी में पता चला है कि ईडी अधिकारियों ने बैंक की पासबुक, रजिस्टर एग्रीमेंट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। सूत्रों के मुताबिक ईडी की जांच में यह पाया गया है कि नालासोपारा में 2009 से बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण कार्य चल रहा है। इसलिए, ईडी ने इन मामलों में गहराई से जांच करके कार्रवाई करने का फैसला किया है। दरसअल करीब 60 एकड़ क्षेत्र में 41 आवासीय और व्यावसायिक इमारतों का अवैध रूप से निर्माण किया गया था। जिस जमीन पर अवैध निर्माण खड़ा किया गया उक्त जमीन एक सीवेज उपचार संयंत्र और एक कचरा डिपो के लिए आरक्षित था। लेकिन आरोपियों ने षडयंत्र रचकर इस स्थान पर अनाधिकृत निर्माण कार्य करा लिया। इसके लिए आरोपी बिल्डरों और स्थानीय दलालों ने फर्जी मंजूरी दस्तावेज तैयार किए। इसके जरिए आम नागरिकों का विश्वास जीतकर उन्हें बड़ी संख्या में फ्लैट बेचे गए। परिणामस्वरूप कई मध्यमवर्गीय निर्दोष नागरिकों को धोखा दिया गया।
- नेताओं, मनपा अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से हुआ अवैध निर्माण
2009 से, राजनीतिक दलों के नेताओं, मनपा अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से वसई, विरार और नालासोपारा के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण किए गए हैं। यह भी पता चला है कि स्थानीय राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं ने इन निर्माण परियोजनाओं के लिए गुप्त वित्तीय सहायता प्रदान की है। अतः 41 अनधिकृत भवनों में कितने लोगों ने वित्तीय लेन-देन किया तथा किस राजनीतिक दल के नेता के आशीर्वाद से तथा किस मनपा अधिकारी की मिलीभगत से ये निर्माण कार्य किए गए? जिसके कारण आज हजारों नागरिक बेघर हो गए हैं और कहा जा रहा है कि ईडी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मनपा के अधिकारियों की भी जांच करेगी। बहरहाल ईडी की जांच से मनपा अधिकारियों में भी हड़कंप मचा है। सूत्रों का कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई लोग इस जाँच की आंच में आ सकते हैं।