विज्ञान और आध्यात्म में कोई विरोध नहीं, श्रद्धायुक्त व्यक्ति को मिलता है न्याय: मोहन भागवत

Nov 27, 2024

नई दिल्ली। आध्यात्म और विज्ञान में कोई विरोध नहीं है। जानो तब मानो पर विज्ञान और आध्यात्म दोनों ही आधारित हैं। लेकिन, विज्ञान और आध्यात्म दोनों में श्रद्धायुक्त व्यक्ति को न्याय मिलता है। उसे नहीं मिलता जो साधन और ज्ञान का अहंकार करता है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कही। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में मुकुल कानिटकर की पुस्तक ‘बनाएं जीवन प्राणवान’ के विमोचन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। डॉ. भागवत ने कहा, श्रद्धा में अंधत्व का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि मानने योग्य विषय होता है तभी हाइपोथिसिस बनती है और शोध शुरू होता है। ऐसे ही मिथ्या पूरी तरह असत्य नहीं है। इससे आध्यात्म का रास्ता निकलता है। उन्होंने कहा, पिछले 500 वर्षों में से विश्व अहंकार के प्रभाव में चला है। मैं अपने ज्ञानेन्द्रिय से जो ज्ञान प्राप्त करता हूं, वही सही है। उसके ऊपर कुछ भी नहीं है, इस सोच के साथ मानव तब से चला है, जब से विज्ञान का प्रभाव बढ़ा है। विज्ञान से बहुत लाभ हुए हैं, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं है, ऐसा सोचना गलत है। विज्ञान का भी एक दायरा है, एक मर्यादा है।


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