काम मनमाफिक न होने पर भी सर्वश्रेष्ठ देने वाला होता है कामयाब

कभी-कभी केरियर में संघर्ष के दौरान हमें वो काम भी करने पड़ते हैं जो पसंद नहीं होते ऐसे में संयम से काम करने से ही सफलता मिलती है। इस मामले में कहा जाता है कि काम के साथ जब मर्जी जुड़ी होती है, तो दिमाग और हाथ दोनों तेज चलने लगते हैं पर हर बार काम मन का ही हो जरूरी नहीं। समय और जगह बदलते ही काम की जरूरत बदल जाती है। एक एचआर विशेषज्ञ के अनुसार आप काम को किस नजरिए से स्वीकार करते हैं यह अहम होता है। जरूरी मौकों पर काम को मना कर देना, काम देखकर घबरा जाना, बहाने बनाना या फिर अपनी बढ़ती अहमियत को देखते हुए अकड़ से तरक्की में रुकावट आती है। 

कॉरपोरेट दुनिया हो या फिर कोई और काम, माहिर वही होता है, जो मन न होने पर भी सर्वश्रेष्ठ देने में कामयाब होता है। और जैसे-जैसे काम पूरे होने लगते हैं, ये समझ आने लगता है कि काम का ज्यादा होना हमें परेशान नहीं करता, जितना कि चिंता और बेचैनी परेशान कर रही होती है। काम जब ज्यादा हो तो इस बेचैनी को संभालना सीख जाना ही कामयाबी देता है। हो सकता है कि काम वाकई बहुत ज्यादा हो। पर तब यह भी देखना जरूरी होता है कि क्या अकेले आपको ऐसा लग रहा है या दूसरे भी काम में जुटे हैं? कई बार काम से पूरी टीम, अधिकारी व संस्थान की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है, ऐसे में यह विश्वास होना चाहिए कि आपको सहयोग भी अवश्य मिलेगा। इसलिए जरूरी समय में तिल का ताड़ न बनाना ही बेहतर होता है। 

काम के स्थल पर ज्यादातर लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें काम करने के मौके नहीं मिलते या फिर जरूरी काम करने को नहीं दिए जाते। सच यह है कि ज्यादातर ऐसे मौकों को समझ ही नहीं पाते। जो समय जोश से काम करने का होता है, वे उलझे रह जाते हैं। बीती बातों को याद करके काम से बचने लगते हैं।

ज्यादा काम, ज्यादा आराम 

सफल लोगों की मानें तो हमेशा काम में व्यस्त रहने वालों के पास हमेशा समय होता है। काम जब ज्यादा हो तो शिकायत व बहानों में उलझने की जगह सही योजना बनाकर जुटना ही अच्छा होता है। अगर काम दूसरों से भी करवाना है तो आपका हिम्मत बनाए रखना, सबके साथ खड़े होना और जरूरी हो जाता है। 

काम को सीधे ना कहने की बजाय यह स्पष्टता होना जरूरी है कि काम ज्यादा क्यों लग रहा है? काम महत्वपूर्ण है और आपकी चिंता के कारण भी सही हैं, जो दूसरों को भी समझ आ रहे है, तो फिर घबराना कैसा खुशी-खुशी सबके साथ जुड़ते हुए थोड़ा ज्यादा करने के लिए तैयार रहें। ध्यान रखें कि काम न करना शरीर को तोड़ सकता है, काम करते रहना नहीं। काम मिल रहा है यही सबसे बढ़िया है।                                  

ऐसे दें कामों को अंजाम  

जो काम सबसे जरूरी है, पहले उसे चुनें। जिस काम के लिए दूसरे आप पर निर्भर हैं, उन्हें पहले निपटा दें। 

बदलते समय के साथ काम के तरीकों को बदलने के लिए तैयार रहें। छोटे-बड़े, किसी काम में आनाकानी न करें। 

दूसरों का काम में सहयोग लें और दूसरों को सहयोग दें। 

कम से कम गलती की गुंजाइश रखते हुए काम करें। 

काम में बाधा पहुंचाने वाले लोगों, बिखरे कागज, सोशल मीडिया, फोन व संदेश आदि से कुछ समय दूरी बना लें। काम के साथ-साथ तरोताज होने के लिए बीच में कुछ समय ब्रेक भी लें।


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