
सिकलसेल संस्थान में सुविधाओं का मामला विधानसभा में उठा, स्वास्थ्य मंत्री ने दी सफाई
Mar 05, 2025
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सिकलसेल संस्थान में इलाज की सुविधाओं की कमी का मामला उठाया गया। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने ध्यानाकर्षण के ज़रिए यह मुद्दा उठाया और कहा कि सिकलसेल के मरीज अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 25 लाख लोग सिकलसेल बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन रायपुर में स्थित एकमात्र चिकित्सा संस्थान में विशेषज्ञों की कमी है और कोई रिसर्च भी नहीं किया जाता। इसके अलावा, संस्थान के संचालन के लिए अपना भवन भी नहीं है और मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि राज्य में एकमात्र सिकलसेल संस्थान है और राज्य के सरकारी चिकित्सालयों में सिकलसेल प्रबंधन सेल भी शुरू किया गया है। मंत्री ने यह भी बताया कि सिकलसेल के संबंध में वैज्ञानिकों ने 19 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।
इसके अलावा, सिकलसेल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बोनमैरो ट्रांसप्लांट की व्यवस्था शुरू की जा रही है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि जब वह स्वास्थ्य मंत्री थे, तब सिकलसेल संस्थान की शुरुआत की गई थी, लेकिन भूपेश सरकार सिर्फ भवन के लिए नारियल फोड़कर चुप बैठ गई। उन्होंने यह भी पूछा कि संस्थान में कितने डॉक्टर और विशेषज्ञ हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब देते हुए बताया कि प्रदेश में सिकलसेल के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं और 23 जून 2023 को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए भूमिपूजन किया गया था। अब तक 11 बैठकें हो चुकी हैं, 180 का सेटअप है और 28 लोग कार्यरत हैं, जिनमें से 4 विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। जल्द ही डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी और जब तक भर्ती नहीं होती, तब तक अन्य डॉक्टरों को अटैच किया जाएगा। अजय चंद्राकर ने संस्थान में मशीनों और मानव संसाधन की स्थिति के बारे में भी सवाल किया। मंत्री ने कहा कि आवश्यकतानुसार चार उन्नत मशीनें उपलब्ध हैं और प्रतिदिन 60 मरीजों की जांच की जा रही है। इसके अलावा, नौ तकनीशियन मशीनों को ऑपरेट करने के लिए कार्यरत हैं।
अजय चंद्राकर ने यह भी सवाल किया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बोनमैरो ट्रांसप्लांट और शोध की अनुमति मिलने में कितने दिन लगेंगे, और क्या संस्थान के पास स्थित मंत्री के बंगले की जमीन का उपयोग संस्थान के लिए किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब दिया कि बंगले की जमीन लगभग दो एकड़ थी और किसी भी प्रकार की आर्थिक अनियमितता की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि कोई भी स्वास्थ्य मंत्री सिकलसेल संस्थान को मजबूत करने के लिए ठोस कदम नहीं उठा पाया, लेकिन यह उनकी प्राथमिकता है और अगर किसी प्रकार की अनियमितता मिली तो जांच की जाएगी।