एक मजदूर की कहानी पर आधारित है फिल्म पुष्पा द रूल
Feb 23, 2024
साल 2024 में दक्षिण भारतीय के साथ-साथ कई हिन्दी फिल्मों का दर्शकों को इंतजार है। इनमें वर्ष 2021 में प्रदर्शित हुई पुष्पा का अगला भाग है, जिसे पुष्पा: द रूल के नाम से पेश किया जाएगा। अब साउथ इंडियन स्टार अल्लू अर्जुन ने पुष्पा फ्रेंचाइजी के विस्तार की योजना के बारे में बात की, जो पहली बार 2021 में रिलीज हुई थी। पुष्पा 2 : द रूल के बारे में बात करते हुए, अर्जुन ने कहा: आप निश्चित रूप से तीसरे पार्ट का इंतजार कर सकते हैं, हम इसे एक फ्रेंचाइजी बनाना चाहते हैं और हमारे पास लाइनअप के लिए एक्साइटिंग आइडियाज हैं। एक्टर ने कहा, पुष्पा फ्रेंचाइजी की एक रील को इंटरनेशनल ऑडियंस के लिए एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए बर्लिन यूरोपीय फिल्म मार्केट में प्रदर्शित किया जा रहा है।
पुष्पा: द राइज- पार्ट 1 की फैन स्क्रीनिंग भी होगी। अर्जुन पहली बार किसी फिल्म महोत्सव में शामिल होंगे। अर्जुन ने कहा, मैं बस यह देखना चाहता हूं कि विदेशों में लोग इस फिल्म को कैसे देखते हैं। यह समझने की कोशिश करना चाहता हूं कि वे भारतीय सिनेमा को कैसे देखते हैं, बस यह समझना चाहता हूं कि फिल्म महोत्सव कैसे होते हैं और किस तरह की फिल्में देखी जाती हैं। वहां आने वाले लोगों की मानसिकता क्या है। सुकुमार द्वारा निर्देशित पुष्पा 2 : द रूल फिल्म में पुष्पा राज (अर्जुन) की कहानी है, जो एक मजदूर है। वह लाल चंदन की तस्करी करने वाले सिंडिकेट में शामिल होता है और एक अहंकारी पुलिस अधिकारी का सामना करता है।
भारत में घरेलू और अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रवासी बाजारों में हिट होने के बाद, पुष्पा : द राइज पार्ट 1 को एक नया जीवन मिला जब इसकी स्ट्रीमिंग प्राइम वीडियो पर शुरू हुई। अर्जुन ने कहा, पुष्पा की थियेट्रिकल पहुंच से ज्यादा ओटीटी (स्ट्रीमिंग) की पहुंच कई गुना है। थिएटर में रिलीज के दौरान बहुत से लोगों ने शायद इसे केवल एक या दो बार ही देखा होगा। लेकिन, अमेजन जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होने के बाद लोग इसे कई बार देख चुके हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म के कारण, यहां अन्य भाषाओं, अन्य क्षेत्रों और पड़ोसी देशों के बहुत सारे क्रॉसओवर ऑडियंस हैं। अर्जुन ने कहा, जिस तरह से शहरी भारतीयों ने फिल्म देखी है और जिस तरह से विदेशी लोगों ने फिल्म देखी है, उसमें मुझे कोई खास अंतर नहीं लगा। मुझे लगता है कि शहरी भारतीय वैश्विक दर्शकों के समान हैं।