*मियावाकि पद्धति से निमाड़ के किसानों ने बनाया घना जंगल, एक लाख से अधिक पौधे लगाये*

Aug 12, 2023

*- अजीम प्रेमजी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया फाउंडेशन, एचडीएफसी बैंक एवं आगा खान फाउंडेशन का वित्तीय सहयोग*

खंडवा।

बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन ने समूचे विश्व पर इसका असर डाला है। ऐसे में एक एनजीओ जो इस बदलते परिवेश में मियावाकि पद्धति से जंगलों के संरक्षण और जयवायु परिवर्तन में कमी लाने की दिशा में कार्य कर रहा है। वर्तमान में निमाड़ क्षेत्र में मियावाकि व अन्य पद्धति से एक लाख से अधिकारी पौधे कम जगह में लगाकर अधिक पौधे लगाने का मिशाल कायम किया है। इसके लिए वित्तीय सहयोग कारर्पोरेट संस्थाओं ने दिया है ।
कार्यक्रम विशेषज्ञ कृषि अनिल पाटीदार ने बताया खेतों में पौधे लगे और जंगल तैयार हो इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्ष 2020 से आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) ने एक अनोखी पद्धति की पहल निमाड़ में करने का निर्णय लिया. इससे कम समय में जंगल तैयार किया जा रहा है। इस पद्धति को मियावाकि कहा गया है इस मियावाकि पद्धति से कम जमीन में अधिक पौधे लगाये जाते है। इसमें पौधों की वृद्धि सामान्य पौधरोपण पद्धति से कई गुणा अधिक होती है। इसके लिए किसानों के खेत के छोटे से हिस्से में 25-30 प्रकार की स्थानीय प्रजातियों के 250-400 पौधे लगाए गए है। जिसमें औषधि, फलदार, झाड़ी एवं बड़े छायादार पौधे लगे है.

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की चन्द्ररेखा जायसवाल ने बताया संस्था द्वारा प्राकृतिक खेती कार्यक्रम के तहत चार जिलों के 6 तहसील में मियावाकि पद्धति से 311 छोटे जंगल विकसीत किए गए। जिसके अंतर्गत 113734 पौधे लगाये है। निमाड़ के 171 किसानों ने 12 मीटर बाय 12 मीटर में पौधे लगाकर जंगल तैयार किया है। किसानों को जागरूक करने के लिए किसान खेत पाठशाला प्रोग्राम के माध्यम से प्रशिक्षण भी दे रहे है। इस पहल में वित्तीय सहयोग अजीम प्रेमजी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया फाउंडेशन, एचडीएफसी बैंक एवं आगा खान फाउंडेशन द्वारा किया गया। विजय राठौड़ कार्यक्रम समन्वयक, खालवा और राहुल पटेल कार्यक्रम समन्वयक, पंधाना का विशेष सहयोग रहा है।

-किसान विनोद भाई ग्राम कुमारखेड़ा ब्लाक खालवा ने बताया मियावाकी पद्धति को अपनाकर अपने खेत में छोटा जंगल तैयार किया है। इस पद्धति में सामान्य पौधा रोपण की तुलना में इसमें पौधे बहुत तेजी से वृद्धि कर रहे है।  
- किसान अनिल भाई ग्राम संदलपुर ब्लाक खालवा के किसान का कहना है कि इनके खेत में पथरीली भूमि में मियावकी विकसित की है कि जिससे आज खेत में भरपूर हरियाली है। आस-पास के किसान गर्मी में छाव लेने यहाँ आते है एवं जमीन में ठंडक महसूस होती है ! 
- किसान कोकिला बहन ग्राम मामाडो ब्लाक खालवा ने बताया अपने घर के पीछे खाली पड़ी जमीन में मियावाकी जंगल तैयार किया है जिससे ग्राम में हरियाली बड़ी है। इस पद्धति में ड्रिप सिंचाई से पानी भी कम लगता है।
- किसान सरस्वती बाई भगवान ग्राम रजोला ब्लाक पंधाना ने बताया कि जब से मियावाकी पद्धति से पौधे लगे हैं तब घर के पास छाया रहने लग गई है तथा घर के सामने हरियाली हो गई है और जानवरों के लिए यहीं से चारा मिलने लग गया जंगल के कारण पक्षियों की आवक भी बढ़ गयी है.
- किसान दशरी बाई गिलदार ग्राम नानाखेड़ा ब्लॉक पंधाना ने बताया कि इस जमीन में कोई फसल नहीं आती थी, क्योंकि वह जमीन ढलान वाली और पथरीली थी, उस जमीन में पोधे इतनी जल्दी से बढ़ रही है। पौधे में पानी ड्रिप से कोई परेशानी नहीं होती है और पानी की बचत भी होती है। पौधे लगाने के बाद जमीन भी अच्छी दिखने लगी है.

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