आस्था का प्रतीक बना प्राचीन महावटवृक्ष.

Jan 23, 2025

अमेठी।जिले के मुसाफिरखाना विकासखंड के गांव भैदपुर के पास खड़ा महावट वृक्ष जो कई दशकों से मौन साक्षी है,आज भी अपनी हर शाखाओं और पत्ते में समय की अनगिनत कहानियों को समेटे हुए हैं।यह विशाल बरगद का पेड़ न केवल अपनी भव्यता से चमत्कृत करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी एक अमूल्य सन्देश देता है।

अपने औषधीय गुणो और वैज्ञानिक महत्व के कारण यह वृक्ष प्रकृति की गोद में बसा एक जीवन्त स्मारक है अब संरक्षण और संवर्धन के लिए मानव संवेदनशीलता की प्रतीक्षा कर रहा है।जब आप मानव इतिहास के संघर्षमय पूर्ण सफर के इस मूक साक्षी की सशक्त अनेकों शाखाओं,घने हरे वृक्ष के नीचे खड़े होते है तो यह कल्पना रोमांचित कर देती है कि इस साक्षी ने मानव-जीवन का संघर्ष देखा होगा।

यह वृक्ष अपनी पूरी भव्यता से समय और मौसम के प्रहारों,प्राकृतिक आपदाओं को झेलता खड़ा है जहां अब इस महावट वृक्ष ने अब काफी विशाल रूप ले लिया है इसके मुख्य तने से निकली विशाल शाखाएं और शाखों से उभरी सहायक जड़े जो काफी विस्तृत है। इस महावृक्ष की प्राचीनता और विशालता ने इसके इर्द गिर्द कई लोक कथाओं व आस्थाओं विकसित कर दिया है।क्षेत्र के ग्रामीणजन इसे श्रद्धा के साथ पूजते रहे हैं जिनकी पीढ़ियों ने इस महावटवृक्ष से आशीर्वाद प्राप्त किया है।

यहाँ के ग्रामीण सुरेश प्रताप सिंह,पवन कुमार दुबे,जितेंद्र अग्रहरि आदि का कहना है कि यह पेड़ इतना पुराना है कि उनके दादा परदादाओ के जमाने से इसकी चर्चा चली होती आई है,गांव में खुशी का पलहो या कोई धार्मिक अनुष्ठान,गांव वाले इस प्राचीन वृक्ष की पूजा करना नहीं भूलते है।वैसे भी बटवृक्ष हमारी संस्कृति में बेहद आदरणीय रहे हैं और उनके औषधि लाभों को आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धति ने बखूबी समझा है।23 जनवरी 25/ईएमएस/अमेठी.


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