अब भी फिल्मों के लिए करना पड़ता है संघर्ष : जॉन अब्राहम

मेरी फीस फिल्म पर बोझ नहीं डालती

बॉलीवुड स्टार जॉन अब्राहम ने बताया कि आज भी मेकर्स उन पर और उनकी फिल्ममेकिंग पर भरोसा नहीं करते हैं। उनका कहना है कि उन्हें आज भी अपनी फिल्मों के सपोर्ट के लिए स्ट्रगल करना पड़ता है, क्योंकि प्रोडक्शन हाउस के लोग उनके मैसेजेस को इग्नोर कर देते हैं। जॉन ने कहा, ‘मैंने विक्की डोनर को प्रोड्यूस किया। मद्रास कैफे, बाटला हाउस जैसी फिल्में बनाई, लेकिन आज भी मुझे स्टूडियो के चीफ को यह विश्वास दिलाना पड़ा कि यह एक अलग फिल्म है और प्लीज मेरी फिल्म में इनवेस्ट करिए। आज भी वे मुझ पर 100 फीसदी भरोसा नहीं करते हैं और वे मुझसे कहते हैं कि बजट बहुत ज्यादा है।’ जॉन अब्राहम ने अपनी फीस को लेकर भी बात की। उन्होंने बताया, ‘एक एक्टर के तौर पर मेरी फीस फिल्म पर बोझ नहीं डालती। 

मुझे लगता है कि अगर फिल्म पैसा कमाती है, तो मैं भी कमाऊंगा। मैं फिल्म पर किसी तरह का भार नहीं डालना चाहता। तो मेरी जो औकात है, जो मेरा स्टैंडर्ड है, मैं उसी के हिसाब से फिल्में बनाता हूं। मुझे अपने कॉन्टेंट पर गर्व है।’ जॉन अब्राहम ने खुलासा किया कि स्टूडियो वाले अक्सर उन्हें जवाब नहीं देते हैं। उन्होंने बताया, ‘मैं व्हाट्सएप यूज नहीं करता हूं। अगर मैं एसएमएस भेजता हूं, तो वे मुझे जवाब नहीं देते हैं। मैंने एक स्टूडियो चीफ को मैसेज किया था और उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे बताएंगे। 4-5 महीने बीत गए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मुझे बुरा नहीं लगता है, लेकिन मुझे कम से एक रिप्लाई तो मिलना चाहिए। 

मेरा मानना है कि अगर लोग मुझ पर थोड़ा भरोस करें, तो मैं कोशिश करूंगा और मैं इंडियन सिनेमा को थोड़ा बदलना चाहूंगा। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं गेम चेंजर हूं, लेकिन मैं कोशिश करना चाहता हूं।’ 


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