‘सत्या’ के 27 साल पूरे होने पर राम गोपाल वर्मा ने लिखी भावुक पोस्ट

Jan 24, 2025

मुंबई । बालीवुड की क्लासिक फिल्म ‘सत्या’ के 27 साल पूरे होने के मौके पर एक  निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए बताया कि इस फिल्म के पुनः दर्शन ने उन्हें अपनी सफलता और अहंकार के नशे का एहसास कराया।

 राम गोपाल वर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, “‘सत्या’ को 27 साल बाद देखकर मैं इतना भावुक हो गया था कि मेरे आंसू बहने लगे और मैं इस बात की परवाह नहीं कर रहा था कि कोई देखेगा या नहीं।” उन्होंने आगे कहा, “आंसू सिर्फ फिल्म के लिए नहीं थे, बल्कि उसके बाद जो हुआ, उसके लिए भी थे। फिल्म बनाना एक ऐसे जुनून की पीड़ा से जुड़ा है, जिसका कोई भविष्य नहीं होता, यह एक अज्ञात यात्रा होती है।” वर्मा ने फिल्म बनाने के अनुभव को कुछ इस तरह बयां किया, “मैंने इसे एक उद्देश्यहीन यात्रा की तरह लिया था, और फिल्म बनाने के बाद मैं कभी इसकी पूरी महत्ता नहीं समझ पाया। सत्या की स्क्रीनिंग के बाद होटल में अकेले बैठकर मुझे यह एहसास हुआ कि मैंने इस फिल्म को एक बेंचमार्क क्यों नहीं माना। मैं सिर्फ उस फिल्म में हुई त्रासदी के लिए नहीं रो रहा था, बल्कि मैं अपने उस रूप के लिए भी खुशी से रो रहा था, जो मैं था।” राम गोपाल वर्मा ने यह स्वीकार किया कि वह अपनी सफलता और अहंकार के नशे में थे और इससे पहले उन्हें इसका एहसास नहीं था। “मैं शराब के नशे में नहीं था, बल्कि अपनी सफलता और अहंकार के नशे में था,” वर्मा ने लिखा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बाद की कुछ फिल्में भले ही सफल रही हों, लेकिन उनमें वह ईमानदारी और निष्ठा नहीं थी जो ‘सत्या’ में थी। 

उन्होंने यह भी कहा कि “मैं ‘सत्या’ जैसी फिल्म फिर कभी नहीं बना सकता, लेकिन मैं जो भी फिल्म बनाऊं, उसमें ‘सत्या’ की ईमानदारी होनी चाहिए।” राम गोपाल वर्मा ने अपने इस पोस्ट के अंत में कहा, “मैंने खुद से यह वादा किया है कि मेरे जीवन के बाकी समय में, मैं ईमानदारी से काम करूंगा और ‘सत्या’ जैसा कुछ बनाने की कोशिश करूंगा।” यह संदेश वर्मा के आत्मविश्लेषण और अपने काम में ईमानदारी की ओर लौटने का संकेत है।निर्देशक ने यह वादा किया कि अब से वह जो भी फिल्म बनाएंगे, वह उस सम्मान के साथ बनाएंगे जिसके लिए उन्होंने निर्देशक बनने का सपना देखा था। 


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