पाकिस्तान पुलिस का खुलासा, कहा- न जवान और न हथियार कैसे लड़ें आतंकियों से?

इस्लामाबाद। पाकिस्तान पुलिस कंगाली और बदहाली में बसर कर रही है। उसके पास आतंकवाद से लड़ने के लिए न तो हथियार हैं और न ही जवान। ऐसे में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकवाद की समस्या गंभीर होती जा रही है। प्रांतीय पुलिस प्रमुख अख्तर हयात खान ने एक बैठक के दौरान सांसदों को सूचित किया कि आतंकवादियों का प्रभाव इतना बढ़ चुका है कि मुख्यमंत्री, गवर्नर और खुद पुलिस प्रमुख के गृह जिले का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा उनके कब्जे में है। बैठक में पुलिस प्रमुख ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा और उसके आसपास के इलाकों में लगभग 4000 आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें से 35 प्रतिशत अफगान नागरिक हैं। साथ ही, प्रांत में 188 छोटे-बड़े आतंकवादी संगठन मौजूद हैं, जो लगातार अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। 

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आतंकवादी रात के समय खुलेआम सड़कों पर चेकिंग करते हैं, जबकि पुलिस चौकियों को खाली करने पर मजबूर हो जाती है। पुलिस के पास इतने संसाधन और क्षमता नहीं है कि वह इन हमलों का सामना कर सके। पुलिस प्रमुख ने स्वीकार किया कि रात के समय पुलिस गश्त नहीं कर पाती और आतंकवादी इस दौरान सक्रिय रहते हैं। कुलाची और डेरा इस्माइल खान जिले जैसे क्षेत्रों में स्थिति विशेष रूप से खराब है। डेरा इस्माइल खान जिले का 30 प्रतिशत हिस्सा आतंकवादियों के कब्जे में है। यह क्षेत्र मुख्यमंत्री अली अमीन खान गंडापुर, गवर्नर फैसल करीम कुंडी और पुलिस प्रमुख अख्तर हयात खान का गृह जिला भी है। पुलिस प्रमुख ने कहा कि यह समस्या इतनी बड़ी हो चुकी है कि इसे केवल पुलिस के दम पर हल नहीं किया जा सकता। अन्य सुरक्षा एजेंसियां, जिनमें सेना भी शामिल है, इस पर कार्रवाई कर रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आतंकवादी दिन के समय छिप जाते हैं और रात को अपनी गतिविधियां बढ़ा देते हैं।

बैठक के दौरान सांसदों ने सवाल उठाया कि जब आतंकवादी रात में सक्रिय रहते हैं, तो पुलिस चौकियों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जाती। इस पर पुलिस प्रमुख ने स्पष्ट किया कि पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और चौकियों पर लगातार होने वाले हमलों से निपटने की क्षमता भी सीमित है। सांसदों को अगले सप्ताह बंद कमरे में पेशावर कोर कमांडर और फ्रंटियर कोर के पुलिस महानिरीक्षक द्वारा विस्तृत जानकारी दी जाएगी। 





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