मॉन्ट्रियल पढ़ने के लिए सबसे बेहतर शहर

अब पढ़ने के लिए सबसे बेहतर शहरों के नाम सामने आये हैं। कनाडा का मॉन्ट्रियल शहर इसमें शीर्ष पर है। इन शहरों को दुनियाभर के छात्रों ने ही नंबर देकर इनकी रैंकिंग तैयार की है।  इन शहरों को यहां मिलने वाली सुविधाओं और स्टूडेंट फ्रेंडली माहौल को देखते हुए स्थान मिले हैं। इन टॉप 100 शहरों की लिस्ट तैयार करने के लिए छात्रों को शहर और वहां की यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ सवाल दिए गए थे। जिसके आधार पर रैंकिंग दी गई। मोंटरियल के बाद  पेरिस को दूसरा जबकि लंदन को तीसरा स्थान मिला है। 

छात्रों के लिए बेहतर शहरों की इस रैंकिंग में यह काफी ज्यादा दिलचस्प था कि अमेरिका और ब्रटेन के सिर्फ एक-एक शहर ही इनमें शामिल हैं जबकि यहां दुनिया की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट मौजूद हैं। 

छात्रों के लिए दुनिया के सबसे बेस्ट 10 शहर

मांट्रियल, कनाडा

पेरिस, फ्रांस

लंदन, यूके

सेउल, साउथ कोरिया

मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया

बर्लिन, जर्मनी

टोक्यो, जापान

बॉस्टन, यूएसए

म्यूनिक, जर्मनी

वेंकोवार, कनाडा

शहरों की यह रैंकिंग कई आधारों पर तय थी। जिसमें शहर में यूनिवर्सिटी की गुणवत्ता, छात्रों के लिए सुविधाएं, अफॉर्डिबिल्टी (पॉकेट फ्रेंडली), छात्रों की शहर में रहने की इच्छा, नौकरी मिलने के अवसर, शहर का अंतराष्ट्रीय व्यवहार, सुरक्षा और प्रदुषण आदि पर भी शहरों को नंबर दिए गए। 

भारत भी शामिल

इन 100 शहरों की लिस्ट में भारत भी अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा. हालांकि भारत के ये शहर टॉप 50 में भी शामिल नहीं हैं। मुंबई शहर को जहां 85वां रैंक मिला है। वहीं राजधानी दिल्ली को 86वीं रैंक मिली है। इन दोनों ही शहरों में देश की सबसे टॉप सेंट्रल यूनिवर्सिटी (दिल्ली यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी) मौजूद हैं. जहां हर साल देश विदेश से कई छात्र पढ़ने आते हैं। 

रहने में आने वाले खर्च अफॉर्डिबिल्टी (पॉकेट फ्रेंडली) के मामले में दिल्ली को मुंबई से ज्यादा नंबर मिले हैं।  इसमें दिल्ली को 73 और मुंबई को 63 नंबर दिए गए हैं। छात्रों की शहर में रहने की इच्छा के मामले में दोनों शहरों को लगभग बराबर अंक मिले हैं। इसके अलावा एम्पलॉयर एक्टिविटी में मुंबई को 61 और दिल्ली को 56 अंक मिले हैं।

भारत की इन दो शहरों का इस लिस्ट में शामिल होना काफी अहम बात है, लेकिन 80 से ऊपर की रैंक मिलना सिर्फ यही दिखाता है कि हमारे यहां शिक्षा व्यवस्था बाकी के शहरों और देशों से कितनी पीछे है। हमें अभी अपने एजुकेशन सिस्टम को जहां बेहतर बनाने की जरूरत है, वहीं ऐसे संस्थानों में सुविधाएं मुहैया भी करवाना जरूरी है।



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