हिल गया दिमाग........क्यों जंग के बाद ज्यादा पैदा होते हैं लड़के

लंदन । इतिहास में कई युद्धों के बाद लड़कों के जन्म में असामान्य वृद्धि का एक दिलचस्प पैटर्न दिखाई दिया है, जिसे लौटते सैनिक प्रभावकहा जाता है। यह घटना वैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों के लिए एक पहेली बनी हुई है, जो यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्यों बड़े युद्धों के बाद अधिक पुरुष संतान जन्म लेती हैं।

सामान्य परिस्थितियों में, करीब 105 लड़के प्रति 100 लड़कियों के अनुपात में जन्म लेते हैं। लेकिन युद्धों के बाद यह अनुपात बढ़कर 110 या उससे अधिक हो जाता है। यह प्रभाव विशेष रूप से प्रथम विश्व युद्ध और दूसरे के बाद स्पष्ट रूप से देखा गया। उदाहरण के लिए, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में, कई पश्चिमी देशों में लड़कों के जन्म की दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। इस तरह, कोरियाई युद्ध और वियतनाम युद्ध के बाद भी प्रभाव का अवलोकन हुआ। 

इस घटना के पीछे कई संभावित कारण बताए जाते हैं। जैविक चयन सिद्धांत के अनुसार, जब समाज में पुरुषों की मृत्यु होती है, तब प्रकृति खुद संतुलित करने के लिए लड़कों के जन्म को प्राथमिकता देती है। इसके अलावा, युद्ध के तनाव के बाद घर लौटने वाले सैनिकों के हार्मोनल स्तर में परिवर्तन भी महत्वपूर्ण हो सकता है। हार्मोन का बढ़ता स्तर गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है। इसके अलावा, युद्धों के बाद की सामाजिक परिस्थितियों का भी प्रभाव हो सकता है। लौटने वाले सैनिक अक्सर अपने परिवारों को बढ़ाने की इच्छा रखते हैं। समाज में पुरुषों की कमी के कारण लड़कों के जन्म को प्राथमिकता देने का दबाव भी हो सकता है।

हालांकि, कुछ वैज्ञानिक सिद्धांत को पूरी तरह से जैविक या हार्मोनल कारकों से नहीं जोड़ते। उनका मानना है कि लड़कों के जन्म की वृद्धि एक संयोग भी हो सकती है। इसके अलावा, कुछ अध्ययनों ने यह सामने आया है कि सभी युद्धों के बाद लड़कों का जन्म दर नहीं बढ़ता। कुल मिलाकर, लौटते सैनिक प्रभाव एक जटिल और दिलचस्प घटना है, जिसने लंबे समय से वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों और इतिहासकारों का ध्यान आकर्षित किया है। इसके पीछे के कारण अब भी शोध और बहस का विषय बने हुए हैं, जो मानव समाज के एक अनूठे पहलू को उजागर करते हैं।


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