बच्चों को खेलने दें
Jan 06, 2024
बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए पढ़ाई के साथ ही खेल भी अहम भूमिका निभाते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। खेल से बच्चे एक-दुसरे की भावना को समझने के साथ ही आदर करना भी सीखते हैं। खेल से बच्चे एक-दुसरे से मिल-जुल कर रहना सिखते हैं। खेल बच्चे के समाजिक विकास में भी सहायमा करता है। खेल भविष्य में बच्चे के आर्थिक विकास मे भी मदद करता है, क्योंकि ये आर्थिक आमदनी का भी माध्यम बन सकता है। खेल के माध्यम से बड़ों को भी बच्चे की रुचियों के बारे में जानकारी मिलती है। खेल बच्चों को अनुशासित बानाने में मदद करता है। खेल से भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है। खेल बच्चे मे एकाग्रता उत्पन्न करता है। बच्चे के पूर्ण विकास के लिए खेल का मह़त्वपूर्ण योगदान है। इसलिए बच्चों को खेलने का भरपुर मौका देना चाहिये|
जो खेल घर के बाहर खेल जाते हैं उससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास दोनो होता है, परन्तु जो खेल घर के अन्दर(इंडोर) में खेले जाते हैं उनसे मानसिक विकास होता है।
बच्चे के सम्पूर्ण विकास के लिए आउटडोर एक्टिविटी बहुत जरूरी होती है। तो, इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा पढ़ाई के अलावा अन्य कामों में भी बराबर की भागीदारी करे। खेल किसी भी प्रकार का हो बच्चे को खुशी प्रदान करे तो बच्चे का विकास तय है।
खेल और विकास में नाता - खेल बच्चों के विकास के लिये बहुत हीं मह़तवपूर्ण होता है। बच्चे बहुत कुछ खेल-खेल में सीख जाते है। बच्चे का खेल के द्वारा विकास होता है। खेल बच्चे को ख़ुशी देता है जोश का नया संचार करता है। खेलने से बच्चे की कार्यक्षमता बढती है। खेलने से बच्चे के आत्मविश्वास भी बढ़ता है। बच्चे खेलते समय अपने निर्णय खुद लेते है जिसकी वजह से उसके निर्णय लेने के गुण/कौशल का भी विकास होता है और साथ ही उसके आत्मविश्वास में भी बढ़ावा होता है। जब बच्चा किसी टीम का सदस्य बनकर खेलता है तो उसके भीतर दूसरों के साथ तारतम्य/समन्वय बना कर खेलने के गुण/कौशल का निर्माण होता है। साथ ही खेल के नियम का पालन करते हुए बच्चा नियमों का महत्त्व और उनका पालन करने की कला को भी सीखता है। इन सबके अलावा आपका बच्चा प्रतिस्पर्धा या कहें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के महत्त्व को भी पहचान पाता है।
खेलने से बच्चा शारीरिक रूप से सक्रीय/फुर्तीला होता है जिस कारण वह शारीरिक रूप से फिट रहता है। इससे उसके अन्दर स्टैमिना भी बढ़ता है। मानसिक रूप से भी बच्चा फिट रहता है।इसके अलावा खेल बच्चे में कलात्मकता का भी विकास करता है। उसे सामाजिक बनने में मदद करता है। और यह गुण/कौशल उसे जीवन भर आगे बढ़ने में मदद करता है। खेलने से तनाव कम होता है और बच्चा मानसिक रूप से तारोताजा हो जाता है जोकि उसकी पढाई में उसकी मदद करता है। बच्चे का विकास स्वस्थ तरीके से हो तो उसके लिए खेल खेलना बहुत ही जरुरी है। एक बार जो बच्चों खेल के मैदान मं उतर आता है वह अपने आप ही अनुशासित हो जाता है।