(भोपाल) एसी कोचों से लाखों को चादर-कंबल हुए गायब

Des 11, 2023

मात्र दो महीने में हुई इतनी चोरी, चादर, कंबल और तकिए ले गए चोर

 भोपाल । ट्रेनों के वातानुकूलित (एसी) कोचों से अज्ञात चोर मात्र दो महीने में करीब चार लाख के चादर-कंबल चोरी कर चुके हैं। इन कोचों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए रेलवे विशेष सुविधाएं देता है। कुछ चोरियों में कोच अटेंडेंट का हाथ होना भी बताया जा रहा है। भोपाल से जाने वाली रीवांचल एक्सप्रेस और भोपाल एक्सप्रेस के एसी कोच से सबसे ज्यादा कंबल, चादर गायब होने की घटना सामने आई है। रीवांचल एक्सप्रेस में 11 कोच हैं, जिनमें यात्रियों को चादर, तकिया, कंबल और नैपकिन दी जाती है। इस ट्रेन में सबसे ज्यादा चोरी की घटनाएं हुई हैं।

इन ट्रेनों से सफर करने वाले चादर, कंबल, तौलिया, तकिया कवर ही नहीं नल और टायलेट में लगी टोटियां भी ले जा चुके हैं। भोपाल-प्रतापगढ़ एक्सप्रेस, महामना एक्सप्रेस, भोपाल एक्सप्रेस, रीवांचल, हमसफर एक्सप्रेस आदि ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुंचने में 12 घंटे से भी ज्यादा का समय लेती हैं। कोच में कंबल-चादर सप्लाई का ठेका लेने वाली कंपनी को ट्रेन के हर कोच में अटेंडेंट रखने होते हैं, लेकिन रीवांचल और भोपाल एक्सप्रेस में कभी पांच तो कभी छह अटेंडेंट ही रखे जाते हैं। जबकि इनमें 10 या 11 एसी कोच होते हैं। ऐसे में एक अटेंडेंट के जिम्मे दो या इससे अधिक कोच की जिम्मेदारी रहती है।

इस कारण ना तो वे ठीक तरह से कोच की देखभाल कर पाते हैं और ना ही सामानों की निगरानी ही कर पाते हैं। सफर के दौरान आधी रात को यात्री अपने स्टेशनों में उतर जाते हैं, उस समय कोई अटेंडेंट नहीं होता। ऐसे में कई यात्री कंबल-चादर लेकर भी उतर जाते हैं। रेलवे ने ट्रेनों में एसी अटेंडेंट का काम ठेके पर दे रखा है। ठेका कंपनी को हर ट्रेन के लिए कंबल, चादर, तकिया आदि गिनती के साथ दिए और वापस लिए जाते हैं। ऐसे में ठेका कंपनियों की लापरवाही से रेलवे को लगातार नुकसान हो रहा है। पिछले दो महीने में भोपाल से बनने वाली ट्रेनों में सबसे ज्यादा 1503 बेड शीट चोरी हुई हैं, जिनकी कीमत 2,65,408 रुपये है।

वहीं 189 कंबल गायब हैं, जिसकी कीमत लगभग एक लाख नौ हजार 242 रुपये बताई जा रही है। इसके साथ ही 10106 रुपये के 326 तकिए भी गायब हुए हैं। इस बारे में भोपाल रेल मंडल के प्रवक्ता सूबेदार सिंह का कहना है कि रेलवे द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। जहां कोई कमी नजर आती है, वहां कंपनी पर पेनाल्टी लगाई जाती है।



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