ये जरूरी नहीं कि हर अधिकार का आनंद लिया जाए: हाईकोर्ट

Mar 27, 2024

मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने की यह तल्ख टिप्पणी

भोपाल । मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि यह जरूरी नहीं है कि संविधान द्वारा प्रदत्त हर अधिकार का आनंद लिया जाए। चिंता की बात है कि आजकल युवा ऐसे विकल्प चुन रहे हैं। खंडपीठ ने कहा कि हमारे देश में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसका मतलब है कि आपको अपनी और अपने साथी की रोजी-रोटी का इंतजाम खुद ही करना है। आपको कम उम्र में ही जीवन के संघर्ष में उतरना होगा। इससे जीवन पर काफी असर पड़ेगा और आपकी समाज में स्वीकार्यता भी प्रभावित होगी। इस तल्ख टिप्पणी के साथ मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 19 वर्षीय युवक-युवती की याचिका को स्वीकार करते हुए पुलिस प्रशासन को समुचित सुरक्षा के आदेश दिए।

युवक-युवती खरगोन जिले के निवासी हैं और स्वजन की इच्छा के विरुद्ध साथ रहना चाहते हैं। दोनों ने यह कहते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि वे वयस्क हैं और उन्हें अपनी मर्जी से जीने का अधिकार है। संविधान ने भी उन्हें इसका अधिकार दिया है। वे जहां चाहें, वहां और जिसके साथ चाहें, उसके साथ रह सकते हैं, लेकिन स्वजन विरोध कर रहे हैं। उन्हें अपने स्वजन से खतरा है। युवक-युवती ने पुलिस के माध्यम से सुरक्षा दिलवाए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने याचिका स्वीकारते हुए कहा कि यह बात सही है कि युवक और युवती दोनों वयस्क हैं। हालांकि युवक की उम्र 21 वर्ष से कम है।

बावजूद इसके हमें उसकी इच्छा का सम्मान करना होगा। छह पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा कि सलाह यह है कि ऐसे विकल्पों को चुनते समय विवेक रखना चाहिए। अधिकार होना एक बात है और अधिकारों को लागू करना अलग बात। मामले में शासन की तरफ से एडवोकेट अमय बजाज ने तर्क रखा कि हिंदू धर्म में ऐसे संविदा विवाह की अनुमति नहीं है। यह युवाओं के लिए एक खराब उदाहरण स्थापित करेगा। 


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