ब्रिटेन का भी मिला साथ, तो यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता पक्की!

Sep 28, 2024

नई दिल्ली। भारत काफी समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता मांग कर रहा है, लेकिन चीन द्वारा लगाई गई कुछ रोक की वजह से मांग पूरी होने में ‎दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि हाल में भारत के समर्थन में कई बड़े देशों का रुख सकारात्मक हुआ है। अमेरिका और फ्रांस के बाद अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी भारत की यूएनएससी में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में अपने संबोधन के दौरान यह विचार व्यक्त किया। स्टार्मर ने कहा कि यूएनएससी को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण और कार्रवाई करने के लिए तैयार निकाय के रूप में बदलने की जरूरत है। उन्होंने भारत, जापान, ब्राजील, और जर्मनी को स्थायी सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया, साथ ही अफ्रीका को भी स्थायी प्रतिनिधित्व दिए जाने की वकालत की। इसके अलावा उन्होंने निर्वाचित सदस्यों के लिए अधिक सीटें बढ़ाने की भी आवश्यकता बताई। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में बयान दिए थे।

मैक्रॉन ने यूएनएससी में सुधार और इसे अधिक समावेशी बनाने पर जोर दिया था। उन्होंने भारत, ब्राजील, जापान, और जर्मनी के साथ दो अफ्रीकी देशों को भी स्थायी सदस्यता देने की वकालत की। भारत का तर्क है कि 1945 में स्थापित 15 सदस्यीय यूएनएससी मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता और इस मंच में सुधार की आवश्यकता है। भारत के अलावा जापान, ब्राजील, और जर्मनी भी लंबे समय से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की मांग कर रहे हैं, जिसे जी4 देशों का समूह कहा जाता है। भारत का कहना है कि उसे इस महत्वपूर्ण मंच पर स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए, क्योंकि वह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक और आर्थिक शक्तियों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के योगदान और विकासशील देशों के मुद्दों पर उसकी मजबूत स्थिति इसे इस सदस्यता का मजबूत दावेदार बनाती है।



Subscribe to our Newsletter