
एमपीपीएससी प्री एग्जाम-2025 के रिजल्ट पर हाईकोर्ट की रोक
Mar 26, 2025
छूट के नाम पर कोटा अभ्यर्थियों का अनारक्षित वर्ग में चयन नहीं करने का आरोप
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी प्री एग्जाम-2025 के रिजल्ट बिना इजाजत घोषित करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने भोपाल की ममता देहरिया की याचिका पर सामान्य प्रशासन विभाग और आयोग से 4 हफ्ते में जवाब भी मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
दरअसल, याचिकाकर्ता ममता देहरिया ने राज्य सेवा परीक्षा-2025 में भाग लिया था। अभ्यर्थी ने परीक्षा फॉर्म जमा करने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मध्य प्रदेश राज्य सेवा भर्ती परीक्षा नियम-2015 के कुछ नियमों और प्रावधानों को असंवैधानिक बताया था। ये प्रावधान आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का छूट के नाम पर अनारक्षित वर्ग में चयन बाधित करते हैं।
राज्य शासन अनारक्षित वर्ग में चयन से रोक रहा
याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने हाईकोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश शासन एक तरफ आरक्षित वर्ग को आयु सीमा, शैक्षणिक योग्यता, परीक्षा शुल्क में छूट दे रहा है। वहीं, दूसरी तरफ छूट पाने वाले अभ्यर्थियों को मेरिट में उच्च स्थान पाने पर भी अनारक्षित वर्ग में चयन से रोक रहा है। यह संविधान में निहित सामाजिक न्याय की अवधारणा के विपरीत होने के साथ ही कई संवैधानिक प्रावधानों के उलट है।
चयन से रोकने वाले प्रावधान रद्द करने योग्य
याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राज्य कोई ऐसा कानून नहीं बना सकता जो आरक्षित वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल से रोकता है। मध्य प्रदेश सरकार के आरक्षित वर्ग को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकने वाले सभी प्रावधान असंवैधानिक हैं और निरस्त किए जाने योग्य हैं।
नोटिस जारी कर जवाब मांगा
याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलीलों को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए याचिका को स्वीकार कर राज्य सरकार और एमपीपीएससी को नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को निर्देशित किया है कि विज्ञापन और नियमों के अनुसार आयोजित परीक्षाओं के रिजल्ट हाईकोर्ट की अनुमति के बगैर घोषित न किए जाएं।