बीस साल पुराने फर्जी प्रसव मामले में महिला डाक्टर की अपील निरस्त, भुगतना पड़ेगी सजा

Nov 20, 2024

इन्दौर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की कोर्ट ने मुल्जिम महिला डाक्टर की फर्जी प्रसव मामले में सुनाई सजा के विरुद्ध लगाई आपराधिक अपील निरस्त कर दी है। महिला डाक्टर को अब सजा भुगतनी होगी। मई 2004 के इस मामले में अप्रैल 2024 में कोर्ट ने डाक्टर को दो वर्ष कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। डाक्टर ने इस फैसले को चुनौती देते हुए ही यह आपराधिक अपील दायर की थी जो निरस्त हो गई।‌ मामला बीस वर्ष पहले का है और महिला डाक्टर ने मरीज महिला के गर्भवती नहीं होने के बावजूद उसे गर्भवती बता उसे प्रसव उपरांत बच्ची होना बता उसके साथ धोखाधड़ी की थी। महिला डाक्टर को अब सजा भुगतने के लिए तीन दिन के भीतर विचारण न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा। मुल्जिम महिला डाक्टर का नाम मनीषा गुप्ता निवासी पवन नगर, पालदा है। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रजापत नगर निवासी मुकेश पत्नी कविता को स्कीम नंबर 71 के डी सेक्टर स्थित एक निजी अस्पताल में डाक्टर मनीषा गुप्ता से इलाज कराने ले गए थे। गर्भवती होने के लिए मई 2004 से आरोपित डाक्टर ने कविता का इलाज शुरू किया तथा जुलाई 2004 में गर्भ ठहरने की बात बताई। अगस्त 2005 में प्रसव पीड़ा होने पर जब उसे अस्पताल में भर्ती किया तो 24 अगस्त की देर रात कविता को बताया गया कि उसे बेटी हुई है। इसके एक दिन बाद आरोपित डाक्टर एक बच्ची को गोद में लेकर महिला के पास आई और कहा कि यह तुम्हारी बेटी है। परिवार को शक हुआ तो उन्होंने डाक्टर से सवाल किया। बाद में डाक्टर ने कविता को अन्नपूर्णा मंदिर के पास बुलाकर स्वीकारा कि कविता का प्रसव नहीं हुआ है। जो बच्ची उसने उसे सौंपी है वह अनाथ आश्रम से गोद ली है। महिला के स्वजन ने आरोपित डाक्टर मनीषा गुप्ता के खिलाफ चंदन नगर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें करीब 20 वर्ष सुनवाई के बाद अप्रैल में कोर्ट ने महिला डाक्टर मनीषा गुप्ता को दो वर्ष की सजा सुनाई थी। उसके खिलाफ मनीषा गुप्ता ने आपराधिक अपील की जिसे सुनवाई करते निरस्त कर दिया गया।


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