भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला भक्तों के मन को है लुभाती

भक्ति की परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले भगवान हैं। योगेश्वर रूप में वे जीवन का दर्शन देते हैं तो बाल रूप में उनकी लीलाएं भक्तों के मन को लुभाती है।आज पूरब से लेकर पश्चिम तक हर कोई कान्हा की भक्ति से सराबोर है। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय श्रीकृष्ण का जो महामंत्र प्रसिद्ध हुआ, वह तब से लेकर अब तक लगातार देश दुनिया में गूंज रहा है। आप भी मुरली मनोहर श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र के जाप की शुरुआत कर सकते हैं। 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण 

कृष्ण कृष्ण हरे हरे 

हरे राम हरे राम 

राम राम हरे हरे॥ 

१५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय प्रसिद्ध हुए इस मंत्र को वैष्णव लोग महामन्त्र कहते हैं। इस्कान के संस्थापक के श्रील प्रभुपाद जी अनुसार इस महामंत्र का जप उसी प्रकार करना चाहिए जैसे एक शिशु अपनी माता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रोता है।

ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय

भगवान श्रीकृष्ण  के इस द्वादशाक्षर (12) मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। प्रेम विवाह करने वाले अभिलाषा रखने वाले जातकों के लिए यह रामबाण साबित होता है। 

कृं कृष्णाय नमः

यह पावन मंत्र स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया है। इसके जप से जीवन से जुड़ी तमाम बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।

ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।

जीवन में आई विपदा से उबरने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का यह बहुत ही सरल और प्रभावी मंत्र है। इस महामंत्र का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण बिल्कुल उसी तरह मदद को दौड़े आते हैं जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की मदद की थी।

आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।

माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।

कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।

एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।

अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।

श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।

श्रद्धा और विश्वास के इस मंत्र का जाप करने से न सिर्फ तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सुख, समृद्धि और शुभता बढ़ाने में यह महामंत्र काफी कारगर साबित होता है। 

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।।

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्

चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।।

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।

नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 3 ।।

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।

रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 4 ।।

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।

वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 5 ।।

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।

दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 7 ।।

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।

दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 8 ।। 

कन्हैया की स्तुति करने के लिए तमाम मंत्र हैं लेकिन यह मंत्र उनकी मधुर छवि का दर्शन कराती है। इस मंत्र की स्तुति में कान्हा की अत्यंत मनमोहक छवि उभर कर सामने आती है। साथ ही साथ योगेश्वर श्रीकृष्ण के सर्वव्यापी और विश्व के पालनकर्ता होने का भी भान होता है।




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