आयोजन:48 दिवसीय भक्तामर विधान मुनिश्री के सानिध्य में चल रहा भक्तिमय गुड़गान।

Aug 12, 2023

भिंड

अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया, अंत समय में साथ नहीं देती माया-: मुनिश्री विनय सागर।

मुनिश्री के सानिध्य में इंद्रा इंद्राणियो ने झूमते हुए भगवान जिनेंद्र के समक्ष महाअर्घ्य समर्पित करें।


/ हमें सदैव सकारात्मक सोच के साथ पुरूषार्थ करते रहना चाहिए जिससे हमारा जीवन सार्थक हो जाये। क्योंकि जीवन पानी की बूंद के समान है। अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया, अंत समय में साथ नहीं देती माया, यह संसार का सबसे बढ़ा सत्य है। जो सत्य पर जीता है उसे ही पूजा जाता है। संसार में जितने भी महापुरूष हुए है उन्होंने विषम से विषम परिस्थिति में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। मोक्ष मार्ग निर्माण का नहीं निर्वाण का मार्ग है। उक्त उदगार श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में आज शुक्रवार को महावीर कीर्ति स्तभ में आयोजित 48 दिवसीय श्री भक्तामर महामंडल विधान में धर्मसभा को सांबोधित करते हुए व्यक्त किए।


श्रमण मुनिश्री ने कहा कि भवनों से निर्वाण नहीं होता भावनाओं से निर्वाण होता है। भावनाएं भव नाशिनी होती है। धर्म के पालने में हम सभी पल रहे है आत्मा का स्वभाव ही धर्म नहीं सहज सरल भावों के साथ की गई क्रियाएं ही सच्चा धर्म  है। जिस तरह अग्नि का स्वभाग उष्ण है, जल का स्वभाव शीतल है उसी प्रकार धर्म का स्वभाव सहज, सरल परिणाम है। मुनिश्री ने आगे कहा कि धर्म हमें अपने जीवन में यही सीख देता है कि जहां इंसान-इंसान आपस में हिल-मिलकर रहते हों, आपस में उनका बैर-विरोध न हो, एक-दूसरे से ईर्ष्या न करते हों यहीं से तो धर्म की शुरुआत होती है। अगर प्रेम, मैत्री, सद्भावना के सद्गुण हममें है तो समझ लेना कि धर्म का हमारे जीवन में प्रवेश हो चुका है। धर्म इंसान को कभी तोड़ने-अलग करने, आपस में लड़ने का पाठ नहीं पढ़ाता, धर्म तो लोगों को जोड़ने का पाठ पढ़ाता है। धर्म तो समाज को आपस में करीब लाने का, परिवार को आपस में जोड़ने का पाठ पढ़ाता है।


इंद्रो ने भक्तिमय भगवान जिनेंद्र का किया अभिषेक, हुई शांतिधारा व दीपकों से महाआरती।

मुनिश्री के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शनो में केशरिया वस्त्रों में इंद्रो ने मंत्रो के साथ कलशों से भगवान आदिनाथ का जयकारो के साथ अभिषेक किया। मुनिश्री ने अपने मुख्यबिंद मंत्रो से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर ज्ञानचंद जैन  एवं सुरेश कुमार जैन दीपक जैन कल्लू जैन परिवार ने की शांतिधारा की दीपकों से महाआरती उतारी। मुनिश्री को शास्त्रभेट समजाजनो ने सामूहिक रूप से भेट किया। आचार्यश्री विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन ज्ञानचंद जैन (पूरवाल) भिण्ड एवं सुरेश कुमार जैन दीपक जैन कल्लू समोसा वाले (भिण्ड परिवार द्वारा किया।

भक्तमार महामंडल विधान में संगीतमय पूजन के साथ चढ़ाये महाअर्घ्य।
 
 श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्तमार महामंडल विधान में ज्ञानचंद जैन (पूरवाल) भिण्ड एवं सुरेश कुमार जैन दीपक जैन कल्लू समोसा वाले (भिण्ड ) परिवार एवं इंद्रा इंद्राणियो ने भक्तामर मंडप पर बैठकर अष्ट्रद्रव्य से पूजा अर्चना कर संगीतमय भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए महाअर्ध्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मंडप पर समर्पित किए।

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