235 साल बाद भी अमेरिका को नहीं मिल रही महिला राष्ट्रपति, उठने लगे सवाल
Nov 08, 2024
-भारत-पाकिस्तान समेत कई देशों में महिलाएं संभाल चुकी हैं देश की बागडोर
वाशिंगटन,। अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव परिणामों ने एक बार फिर अमेरिका में महिला राष्ट्रपति बनने की संभावना को खत्म कर दिया है। रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप इस दौड़ में विजयी रहे हैं, जबकि डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस पीछे रह गईं। इस चुनाव ने अमेरिका के लोकतांत्रिक स्वरूप पर फिर सवाल उठ रहे हैं, खासकर महिला नेतृत्व को लेकर।
इतिहासकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विक्टोरिया वुडहुल 1872 में राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने वाली पहली महिला थीं। अमेरिका को अब तक अपनी पहली महिला राष्ट्रपति नहीं मिल पाई है, जबकि देश में ज्यादातर उच्च पदों पर महिलाओं ने सफलता हासिल की है। यह 235 सालों से ज्यादा का समय हो चुका है, और अब तक कोई महिला अमेरिका का सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति की कुर्सी पर नहीं बैठ पाई है।
अमेरिका में कई उच्च पदों पर महिलाएं रही हैं, जैसे संसद के दोनों सदनों में महिलाओं की उपस्थिति और कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालयों में उनकी भूमिका रही है, लेकिन जब बात राष्ट्रपति पद की आती है, तो अमेरिका का रिकॉर्ड शून्य है। 2016 में हिलेरी क्लिंटन ने राष्ट्रपति पद के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा की थी, लेकिन वह ट्रंप से हार गईं थीं। हालांकि, उन्हें ट्रंप से करीब 28 लाख ज्यादा पॉपुलर वोट मिले थे, लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज के बहुमत के कारण ट्रंप की जीत मिली थी।
इसके विपरीत अन्य देश इस मुद्दे पर अमेरिका से कहीं आगे हैं। 1960 में श्रीलंका ने सिरीमावो भंडारनायके को पीएम बनाकर इतिहास रचा था। वह दुनिया की पहली महिला थीं, जिन्हें किसी देश का प्रमुख चुना गया। इसके छह साल बाद भारत ने 1966 में इंदिरा गांधी को पीएम पद पर आसीन किया था। इंदिरा गांधी को आज भी भारत के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्रियों में गिना जाता है। पाकिस्तान ने 1988 में बेनजीर भुट्टो को पीएम बनाकर महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ने का उदाहरण पेश किया था।
अमेरिका में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी के बावजूद सर्वोच्च पद पर किसी महिला का न होना इस लोकतंत्र पर सवाल खड़े करता है। क्या अमेरिका अपनी पितृसत्तात्मक व्यवस्था से बाहर निकलकर एक महिला को राष्ट्रपति बनाने के लिए तैयार है? यह सवाल अब भी बना हुआ है, और इसके जवाब की तलाश अमेरिकी समाज को करनी होगी।