मधुमेह जनित रेटिनोपैथी की जांच जरूरी

डायबिटीज (मधुमेह) से ग्रस्त लोगों में से लगभग 40 फीसदी डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी से भी पीड़ित होते हैं। आंखों की देखभाल के लिए डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी की जांच जरूरी है। डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी स्मॉल ब्लड वैसल्स को नुकसान पहुंचने से होती है। ये ब्लड वैसल्स ही रेटिना को न्यूट्रि‍शंस पहुंचाती हैं। क्षतिग्रस्त होने पर इनमें से रक्त और अन्य तरल पदार्थो का रिसाव होने लगता है, जिससे रेटिना के टिश्यूज़ में सूजन आ जाती है और नजर धुंधलाने लगती है। यह स्थिति आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करती है।

हालांकि डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी हमेशा से ही डायबिटीज से जुड़ी एक बड़ी परेशानी रही है, लेकिन हाल के वर्षो में इसके मामलों में वृद्धि देखने में आ रही है। यदि समय पर कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और अधिक खराब हो सकती है। डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी को डायबिटीज पीड़ितों में अंधेपन का प्रमुख कारण माना जाता है। हालांकि, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसे ठीक किया जा सकता है और होने से रोका भी जा सकता है। 

कुछ कारक जो इस स्थिति को बढ़ाते हैं, उनमें प्रमुख हैं- ग्लाइसेमिक नियंत्रण में कमी, हाई ब्लकड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल स्तर। ज्यादातर रोगियों में, डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी आमतौर पर एकदम से पता नहीं चल पाती, यानी इसके लक्षण हल्के होते हैं। इस कारण से, डायबिटीज पीड़ित लोग इस बात से तब तक अनजान रहते हैं, जब तक कि रोग बढ़ नहीं जाता। 

खोया हुआ विजन बहाल नहीं हो सकता। इसलिए, यह आवश्यक है कि डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए नियमित रूप से जांच कराते रहें। नजर खोने और कमजोर होने से रोकने के लिए शुरू में ही ध्यान देना महत्वपूर्ण है। 

आई डिजीज़ की सूची में डायबिटीज जनित रेटिनोपैथी भी एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने इसे अपने विजन 2020 : राइट टू साइट इनीशिएटिव में शामिल किया है। 

हालांकि बीमारी बढ़ने के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण भी हैं जैसे कि दृष्टि में धुंधलापन, आंखों के पास धब्बे, दोहरी दृष्टि और आंखों में दर्द। लेजर सर्जरी का इस्तेमाल करके अक्सर इसका इलाज किया जाता है, लेकिन डायबिटीज के प्रत्येक चरण में रेटिनोपैथी का उपचार एक अलग तरीके से किया जा सकता है। 



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