एमएमआरडीए को करोड़ों रूपये का फर्जी बैंक गारंटी मुहैया कराने वाली कंपनी के खिलाफ जांच की मांग

Feb 13, 2025

मुंबई,। बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर एमएमआरडीए को करोड़ों रूपये का फर्जी बैंक गारंटी मुहैया कराने वाली एक कंपनी के खिलाफ सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एमएमआरडीए ने ठाणे-बोरीवली ट्विन ट्यूब थ्री-लेन राजमार्ग के निर्माण के लिए एक निजी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से 16,600.40 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी स्वीकार की। वरिष्ठ एवं एक पत्रकार रवि प्रकाश ने एक जनहित याचिका में दावा किया है कि मेघा इंजीनियर्स नाम की कंपनी ने एमएमआरडीए को फर्जी बैंक गारंटी मुहैया कराई है। इस याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आलोक आराधे और न्यायधीश भारती डांगरे की पीठ के समक्ष थी। याचिका में बताया गया है कि सेंट लूसिया स्थित तथा इंग्लैंड और वेल्स के कानूनों के तहत संचालित यूरो एक्ज़िम बैंक, आरबीआई द्वारा अनुमोदित विदेशी बैंक नहीं है। फिर भी, यूरो एक्ज़िम बैंक ने मेघा इंजीनियर्स की ओर से एमएमआरडीए को 16,600.40 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी प्रदान की है। याचिका में रवि प्रकाश ने यह भी आरोप लगाया है कि एसबीआई ने बिना किसी सत्यापन के यूरो बैंक से बीआर के संबंध में स्विफ्ट संदेश को प्रमाणित कर दिया है।

* क्या कहा गया है जनहित याचिका में ?

लोक निर्माण विभाग ने 19 सितंबर 2017 को परिपत्र जारी कर कहा है कि कार्य सुरक्षा राशि केवल राष्ट्रीयकृत या शेडयूल बैंकों द्वारा जारी ऋणपत्रों के माध्यम से ही स्वीकार की जाएगी। याचिका में कहा गया है कि एमएमआरडीए के वित्त विभाग ने 15 जून 2018 को इसी तरह का एक परिपत्र जारी किया था। इस लेनदेन की जांच सीबीआई या एसआईटी को करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि एमएमआरडीए को मेघा इंजीनियर्स से परियोजना का ठेका वापस लेने का निर्देश दिया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण अदालत में पेश हुए।


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