गर्भनिरोधक गोलियां हो सकती हैं नुकसानदेह

गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल संभल कर करें क्योंकि इनका सेवन करने वाली महिलाओं में चेहरे के हाव-भावों को पढ़ने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे उनके अंतरंग संबंध पर भी असर पड़ सकता हैं। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इनका सेवन करने वाली महिलाओं को खुशी या डर जैसे मूल हाव-भावों के बजाय गर्व या अपमान जैसे जटिल भावनात्मक हाव-भावों की पहचान करने का अवसर दिया गया। उन्होंने गर्भनिरोध गोलियां (ओसीपी) लेने वालीं महिलाओं में भावनात्मक पहचान में सूक्ष्म बदलाव का खुलासा किया।

इसमें पता चला कि गोलियों का इस्तेमाल नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में ओसीपी प्रयोगकर्ताओं में तकरीबन 10 प्रतिशत बुरा असर दिखा है। 

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इस अध्ययन ने ओसीपी के संभावित प्रभाव को लेकर सवाल खड़े किए हैं कि इसका असर सामाजिकता और अंतरंग संबंधों पर पड़ सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि जन्म नियंत्रण के अलावा हार्मोन से संबंधी गर्भनिरोधक गोलियां मुंहासे, भारी माहवारी एवं एंडोमेट्रिओसिस को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती हैं। साथ ही इनसे गर्भाशय और पाचन तंत्र के निचले भाग पर स्थित कोलन के कैंसर का खतरा कम हो सकता है। एंडोमेट्रिओसिस, महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली ऐसी बीमारी है, जो दर्द, अनियमित मासिक धर्म के साथ बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं को लेकर आती हैं। इसका नकारात्मक प्रभाव यह है इन दवाइयों से स्तन और सर्वाइकल कैंसर, खून के थक्के बनना और उच्च रक्तचाप का खतरा मामूली रूप से बढ़ सकता है। गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में अन्य के भावनात्मक हाव-भावों की पहचान करने की क्षमता प्रभावित होती है।

इन गोलियों के सेवन से इस्कीमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, बर्थ कंट्रोल गोलियां लेने से ब्लड क्लोट दिमाग की ब्लड वेसेल्स को ब्लॉक कर देता है।

ये दवाइयां लेने से इस्कीमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन जो महिलाएं किसी दूसरी तरह के स्ट्रोक से पीड़ित नहीं होती हैं, उनमें यह खतरा कम होता है। अध्यान में ये भी सामने आया कि जो महिलाएं पहले से ही स्ट्रोक की समस्या से जूझ रही हैं, उनमें ये खतरा ज्यादा होता है। स्ट्रोक के अलावा इन महिलाओं में माइग्रेन का दर्द, हाई ब्लड प्रेशर होने की भी संभावना होती है।  


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