बच्चों में बढ रहे अवसाद के मामले
Mar 16, 2024
आजकल बच्चे भी पढ़ाई और अपने स्कूल के कारण तनाव में रहते हैं। इसका कारण यह है कि बच्चे मानसिक तौर पर काफी कमजोर होते हैं, छोटी-छोटी बातों को बहुत जल्द दिल पर ले लेते हैं। कई बार उनके साथ बाहरी दुनिया में ऐसा व्यवहार होता है जिसे वे खुलकर मां-बाप से नहीं कर पाते। अपने दितनाव के कारण बच्चे का स्वभाव भी बदलने लगता है, या तो बच्चा चिड़चिड़ा हो जाएगा या फिर बात-बात पर रोने लगेगा। कुछ बच्चे तनाव के कारण नाखून चबाने लगते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे में इस तरह के बदलाव देखें तो समझ जाएं कि खतरे की घंटी बज चुकी है अब बारी है बच्चे के साथ खुलकर बात करने की। कम या फिर ज्यादा खाना अक्सर बच्चे तनाव के चलते खाना कम कर देते हैं। तनाव व एंग्जाइटी के कारण बच्चों की भूख काफी हद तक कम हो जाती हैं और वह बेहद कम खाना शुरू कर देते हैं। कई बार इससे उल्ट भी हो जाता है, कई बच्चे तनाव से भागने के लिए ज्यादा खाने में अपनी खुशी ढूंढने लगते हैं। ऐसे में बच्चे की खाने की आदतों में आने वाले बदलाव से आप आसानी से उनके डिप्रेशन में होने की जांच कर सकते हैं। एकाग्रता में कमी बच्चों का पढ़ाई में कमजोर होने पर अक्सर मां-बाप समझ लेते हैं कि उसका ध्यान खेलने-कूदने में ज्यादा हो चुका है। मगर कई बार किसी बात का दबाव होने की वजह से भी बच्चे का मन पढ़ाई
तनाव के कारण बच्चे का स्वभाव भी बदलने लगता है, या तो बच्चा चिड़चिड़ा हो जाएगा या फिर बात-बात पर रोने लगेगा। कुछ बच्चे तनाव के कारण नाखून चबाने लगते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे में इस तरह के बदलाव देखें तो समझ जाएं कि खतरे की घंटी बज चुकी है अब बारी है बच्चे के साथ खुलकर बात करने की।
कम या फिर ज्यादा खाना
अक्सर बच्चे तनाव के चलते खाना कम कर देते हैं। तनाव व एंग्जाइटी के कारण बच्चों की भूख काफी हद तक कम हो जाती हैं और वह बेहद कम खाना शुरू कर देते हैं। कई बार इससे उल्ट भी हो जाता है, कई बच्चे तनाव से भागने के लिए ज्यादा खाने में अपनी खुशी ढूंढने लगते हैं। ऐसे में बच्चे की खाने की आदतों में आने वाले बदलाव से आप आसानी से उनके डिप्रेशन में होने की जांच कर सकते हैं।
एकाग्रता में कमी
बच्चों का पढ़ाई में कमजोर होने पर अक्सर मां-बाप समझ लेते हैं कि उसका ध्यान खेलने-कूदने में ज्यादा हो चुका है। मगर कई बार किसी बात का दबाव होने की वजह से भी बच्चे का मन पढ़ाई
ल की बात खुलकर न बता पाने के कारण वे अवसादग्रस्त (डिप्रेशन) में रहने लगते हैं। मगर आप चाहें तो उनके स्वभाव में आने वाले बदलावों से उनकी परेशानी के बारे में पता कर सकते हैं।
नींद न आना
तनाव का सबसे ज्यादा असर व्यक्ति की नींद पर पड़ता है। बच्चों में यह असर बहुत जल्द दिखने लगता है। अगर आपका बच्चा भी रात भर सो नहीं पा रहा और हमेशा डरा-सहमा रहता है, तो समझ लीजिए कि उसे कोइ चिंता सता रही है।
स्वभाव में बदलाव
तनाव के कारण बच्चे का स्वभाव भी बदलने लगता है, या तो बच्चा चिड़चिड़ा हो जाएगा या फिर बात-बात पर रोने लगेगा। कुछ बच्चे तनाव के कारण नाखून चबाने लगते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे में इस तरह के बदलाव देखें तो समझ जाएं कि खतरे की घंटी बज चुकी है अब बारी है बच्चे के साथ खुलकर बात करने की।
कम या फिर ज्यादा खाना
अक्सर बच्चे तनाव के चलते खाना कम कर देते हैं। तनाव व एंग्जाइटी के कारण बच्चों की भूख काफी हद तक कम हो जाती हैं और वह बेहद कम खाना शुरू कर देते हैं। कई बार इससे उल्ट भी हो जाता है, कई बच्चे तनाव से भागने के लिए ज्यादा खाने में अपनी खुशी ढूंढने लगते हैं। ऐसे में बच्चे की खाने की आदतों में आने वाले बदलाव से आप आसानी से उनके डिप्रेशन में होने की जांच कर सकते हैं।
एकाग्रता में कमी
बच्चों का पढ़ाई में कमजोर होने पर अक्सर मां-बाप समझ लेते हैं कि उसका ध्यान खेलने-कूदने में ज्यादा हो चुका है। मगर कई बार किसी बात का दबाव होने की वजह से भी बच्चे का मन पढ़ाई से हट जाता है। असल में दिमाग में नकारात्मकता हावी होने की वजह से बच्चे को चीजें समझ नहीं आती, जिससे उनका प्रदर्शन बाकी बच्चों की तुलना में खराब होने लगता है।