बाबा साहब ने सभी को एक, संगठित व शिक्षित बनकर विकास के लिए दिशा-दर्शन दिया : मुख्यमंत्री

Apr 15, 2025

गांधीनगर | मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि डॉ. बाबासाहब द्वारा दिए गए संविधान के अंगीकरण के 75 वर्ष इस वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसलिए एक अर्थ में इस वर्ष की उनकी जयंती हम सभी के लिए विशेष अवसर है। हमारा संविधान, जो देश के नागरिक के लिए धर्मग्रंथ समान है, उसमें बाबासाहब ने सभी को एक, संगठित एवं शिक्षित बनकर विकास का दिशा-दर्शन दिया है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भारत रत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में गांधीनगर में आयोजित तुरी बारोट समाज के मातृ-पितृ वंदना, भीम डायरा तथा सम्मान समारोह में बोल रहे थे| इस त्रिवेदी संगम समान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के करकमलों से तुरी बारोट समाज की मोबाइल ऐप्लिकेशन का उद्घाटन किया गया तथा तेजस्वी विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

भूपेन्द्र पटेल ने जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सबके साथ, सबके विकास, सबके विश्वास और सबके प्रयास के मंत्र से विकसित भारत की दिशा दी है। आज 134वीं आंबेडकर जयंती पर तुरी बारोट समाज सेवा संघ के इस आयोजन में भी प्रधानमंत्री का मंत्र साकार हुआ है। मुख्यमंत्री ने आयोजकों को अभिनंदन देते हुए कहा कि आज यहाँ मातृ-पितृ वंदना, भीम डायरा तथा तुरी बारोट समाज के तेजस्वी छात्रों के सम्मान का त्रिवेणी संगम हुआ है। तुरी बारोट जाति तो परंपरागत कला एवं संस्कृति की विरासत का संरक्षण करने का कार्य करने वाली जाति है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारी विरासतों का गौरव करते हुए विकास का मंत्र ‘विकास भी, विरासत भी’ से दिया है। तुरी बारोट समाज तो प्राचीन काल से ही ऐसी संगीत सहित अनेक कला विद्या की विरासत के गौरव से सम्पन्न है। ऐसी कहावत है कि तुरी समाज का बच्चा रोए, तो भी राग में रोता है। लोक जीवन में ऐसी कहावतें सदियों के अनुभव के बाद जुड़ती हैं। यह कहावत कला के प्रति आपके समाज की साधना तथा समर्पण को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि एक समय हमारे यहाँ जब टीवी, रेडियो, सिनेमा जैसे आज के जमाने के मनोरंजन के साधन नहीं थे, तब इस समाज ने लोगों को भवाई तथा डायरा द्वारा लोक मनोरंजन प्रदान किया है। समाज ने एक ओर कला साधना की है, तो दूसरी ओर समाज के कई परिवारों ने पुस्तकों में, रिकॉर्ड रखने में तथा इतिहास संवर्धन का कार्य भी किया है। तुरी बारोट समाज परंपरा को बनाए रखते हुए प्रगति के मार्ग पर अग्रसर बना है। आज का कार्यक्रम इसका जीवंत उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि डायरा तो गुजरातियों के लिए मनोरंजन के साथ जन जागृति का उत्तम माध्यम रहे हैं। भीम डायरा बाबासाहब की स्मृति को उनके जीवन संघर्ष को उनके द्वारा देश के लिए किए गए बलिदान को वंदन करने का अवसर है। बाबासाहब की वंदना के इस आंबेडकर जयंती के अवसर पर हम सभी विकसित भारत के निर्माण के लिए राष्ट्र वंदना का संकल्प लें; यही बाबासाहब को दी गई सच्ची अंजलि है। भूपेन्द्र पटेल ने जोड़ा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए नौ संकल्प साकार करने के लिए हम प्रतिबद्ध हों।


कैच द रेन द्वारा जल संचय करने, एक पेड़ माँ के नाम द्वारा ग्रीन कवर बढ़ाने, स्वच्छता एवं स्वस्थता के अभियानों, प्राकृतिक खेती, वोकल फॉर लोकल के मंत्र से स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने तथा योग एवं खेल-कूद को जीवन का हिस्सा बनाकर रोगमुक्त जीवन शैली का प्रधानमंत्री ने आह्वान किया है और उन्होंने देश-दर्शन द्वारा पर्यटन को गति देने एवं देश की भव्य विरासत पर गौरव करने का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तुरी बारोट समाज परंपरागत रूप से विरासत का गौरव व संवर्धन करने का कार्य करता आया है। लोक जागृति के कार्यक्रमों द्वारा एक तरह से समाज ने राष्ट्र सेवा में भी योगदान दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विकसित भारत के सभी संकल्प जन भागीदारी से पूरा करने में और अधिक से अधिक लोगों तक इस संकल्प का संदेश पहुँचाने में तुरी बारोट समाज सक्रिय योगदान देगा।

तुरी बारोट समाज सम्मेलन के अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री ऋषिकेश पटेल ने प्रसंगोचित संबोधन करते हुए कहा कि इस कलियुग के समय में संगठन ही शक्ति है। इस संगठन शक्ति के बिना किसी भी समाज को विकास की ऊँची छलांग लगानी हो, तो वह बहुत मुश्किल है। अंधकारमय युग में डॉ. बाबासाहब ने शिक्षा की ज्योत प्रकट की थी। किसी भी समाज के लिए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ना हो, तो शिक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ो, सफल बनो। फिर वापस मुड़कर समाज के उन लोगों की सहायता निश्चित रूप से करो, जिसे आगे बढ़ने में आपकी सहायता की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने समाज द्वारा आयोजित मातृ-पितृत वंदना के सुंदर कार्यक्रम का स्वागत करते हुए कहा कि माता-पिता का मन दुःखाना यानी भगवान को नाराज करना समझें।

समाज में शिक्षा के साथ ऐसे आयोजनों द्वारा संस्कृति एवं संस्कारों की भी रक्षा होना बहुत जरूरी है। इस अवसर पर तुरी बारोट समाज के अध्यक्ष डॉ. शैलेषभाई तुरी ने स्वागत संबोधन में समाज का विस्तृत परिचय देते हुए कहा कि तुरी बारोट समाज बहुत लंबे समय से लोगों को भवाई तथा नाटक जैसे कार्यक्रमों के जरिये मनोरंजन के साथ हास्य लाने का कार्य करता है। तुरी बारोट समाज सेवा संघ पिछले 25 वर्षों से कार्यरत है, जिसमें समाज के लगभग एक लाख लोग जुड़े हुए हैं। इस समाज द्वारा लगभग 6 सामूहिक विवाह समारोहों का आयोजन भी किया गया है।


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