अमेरिका ने चीन से कहा दो टूक- सीमा विवाद में हमेशा भारत के साथ

न्यूयॉर्क। अमेरिका ने भारत को अपना अहम साझेदार और मित्र बताते हुए चीन को साफ संदेश दे दिया है। कहा है कि सीमा विवाद पर अमेरिका हमेशा भारत के साथ है। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि दोनों ही देश सीमाओं और संप्रभुता व कानून के शासन के सिद्धांत को मानते हैं। गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका का यह सुनिश्चित करने का लंबा इतिहास रहा है कि दुनिया में कहीं भी आक्रामकता को बढ़ावा नहीं दिया जाए। अमेरिका हमेशा चीन के साथ भारत की कूटनीतिक बातचीत का समर्थन करता है।गार्सेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को घनिष्ठ मित्र बताया है। 

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और जो बाइडन के बीच घनिष्ठ मित्रता है। मोदी भारतीय इतिहास में अब तक के सबसे अधिक अमेरिका समर्थक प्रधानमंत्री हैं तो वहीं जो बाइडन अमेरिकी इतिहास में अब तक के सबसे अधिक भारत समर्थक राष्ट्रपति हैं। पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति के निजी आवास गया। यह गहरी दोस्ती का प्रतीक है।जब गार्सेटी से पूछा गया क्या अमेरिका भारत को चीन का जवाब मानता है तो उन्होंने कहा, हम अभी भारत की कूटनीतिक बातचीत का समर्थन करते हैं। चीन का नाम लिए बगैर गार्सेटी ने बता दिया कि क्वाड की स्थापना क्यों की गई। उन्होंने क्वाड को एक शक्तिशाली समूह बताया। उन्होंने कहा कि क्वाड में चार देश मिलकर दृष्टिकोण निर्धारित करते हैं और सिद्धांतों को साझा कर सकते हैं। क्वाड से इंडो-पैसिफिक में साझा समाधान निकाल सकते हैं। यह समूह उन देशों के विपरीत है जो नियमों के अनुसार नहीं चलना चाहते। कानून के शासन में विश्वास नहीं करते लेकिन मुझे लगता है कि हम इसका समाधान निकालेंगे। 

मैकमोहन रेखा को दी मान्यता

गार्सेटी ने कहा कि सीमा पर संघर्ष होने पर हम भारत के साथ खड़े रहे हैं। हमने 1952 से मैकमोहन रेखा को मान्यता दी है। हमारे पास यह सुनिश्चित करने का एक लंबा इतिहास है कि दुनिया में कहीं भी आक्रामकता को पुरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए। गार्सेटी ने आगे कहा कि ​​विशेष रूप से जब चीन की बात आती है तो हम सभी शांतिपूर्ण संबंध रखना चाहते हैं। 


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