135 इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम पश्चिम मध्य रेलवे में स्थापित
Ags 24, 2024
रेलवे में आधुनिक सिगनल प्रणाली से ट्रेन परिचालन में सुरक्षा बढ़ती है। भारतीय रेल में उपयोग में आने वाले उपकरणों का अपग्रेडेशन एंड रिप्लेसमेंट एक सतत प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया को इसकी स्थिति, परिचालन आवश्यकताओं और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। इसी कड़ी में महाप्रबंधक के मार्गदर्शन एवं प्रमुख मुख्य संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर के निर्देशन में पश्चिम मध्य रेल में सिग्नलिंग सिस्टम में तीव्र गति से अपग्रेडेशन किया जा रहा है जिसमें नये प्रकार की इंटरलॉकिंग प्रणाली को अलग-अलग रेलखण्डों पर लगाया जा रहा तथा पुरानी इंटरलॉकिंग प्रणाली को भी बदला जा रहा है। ट्रेन संचालन में डिजिटलीकरण एवं आधुनिकीकरण और सुरक्षा बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।
पश्चिम मध्य रेलवे हमेशा से ही यात्रियों के लिए विशेष रूप से सुरक्षा और संरक्षा उपायों से संबंधित विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने में अग्रणी रही है। इसी क्रम में, पश्चिम मध्य रेलवे ने अब तक 135 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम शुरू किया है जो ट्रेन की आवाजाही पर सटीक नियंत्रण सुनिश्चित करता है और मानवीय त्रुटि की संभावना को समाप्त करता है। पश्चिम मध्य रेलवे क्रमिक रूप से सभी विद्युत सिग्नलिंग प्रणालियों को नए कंप्यूटर आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से बदल रहा है। मण्डल वाइस बात करे तो जबलपुर मण्डल के 45 स्टेशनों, भोपाल मण्डल के 45 स्टेशनों एवं कोटा मण्डल के 45 स्टेशनों सहित अब तक कुल 135 स्टेशनों को कंप्यूटर आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली प्रदान की गई है। शेष स्टेशन भी निकट भविष्य में एडवांस इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली से लैस होंगे।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नल, पॉइंट और लेवल- क्रॉसिंग गेटों को नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर आधारित सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करता है। पारंपरिक विद्युत रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम के विपरीत जहां असंख्य तारों और रिले का उपयोग किया जाता है, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग लॉजिक का प्रबंधन करने के लिए सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग करता है। यह यार्ड में सिग्नलिंग गियर से प्राप्त इनपुट को पढ़ता है और ऑपरेशनल कंसोल (वीडीयू) से प्राप्त आदेशों को फेल-सेफ तरीके से संसाधित करता है।
इस तकनीक से कई लाभ हुए हैं, जिसका सुरक्षा पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है और साथ ही ट्रेनों की गति बढ़ाने में भी मदद मिली है। यह प्रणाली परस्पर विरोधी मार्गों, गलत सिग्नल या मानवीय चूक से होने वाली दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करती है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को कवच तकनीक के साथ-साथ सेंट्रलाइज्ड ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम के साथ भी जोड़ा जा सकता है। इसके अलावा, यह कुशल कामकाज में भी सक्षम है, जिससे परिचालन का समय कम हो गया है।