बड़े तालाब के लिए खतरा बनेगा 1323.94 करोड़ का वेस्टर्न बायपास
Ags 07, 2024
- बाघ भ्रमण क्षेत्र पर भी होगा असर
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भोपाल। राजधानी में अधूरी रिंग रोड पूरी करने के लिए राज्य सरकार ने 41 किलोमीटर लंबे वेस्टर्न भोपाल बायपास के निर्माण की योजना बनाई है। इसका जिम्मा एमपीआरडीसी (मप्र रोड डेवलपमेंट कापोर्रेशन) को सौंपा है। लेकन 1323.94 करोड़ की लागत से बनने वाला यह वेस्टर्न बायपास भोपाल की लाइफलाइन कही जाने वाले बड़े तालाब के लिये खतरा बन जाएगा। इसके अलावा इसका असर टायगर मूवमेंट एरिया पर भी होगा। ऐसे में यह कहंी पैसों की बर्बाद तो नहीं यह भी देखना होगा।
क्या है प्लानिंग
इस का काम एमपीआरडीसी ने भी दो वर्षों में निर्माण कार्य पूरा करने के लिए दिल्ली की एक कंपनी से अनुबंध किया है। ऐसे में जल्द ही यह परियोजना धरातल पर नजर आएगी। हालांकि इसके निर्माण में बड़े तालाब के कैचमेंट और चंदनपुरा का बाघभ्रमण क्षेत्र भी शामिल है। जिसको लेकर शहर के पर्यावरणविद वेस्टर्न बायपास को बड़े तालाब के लिए खतरा बता रहे हैं। वहीं छह किलोमीटर का वन क्षेत्र भी इसके दायरे में आ रहा है, इस पर भी उनकी आपत्ति है। पर्यावरणविदों की मांग है, कि बड़े तालाब के कैचमेंट और वन क्षेत्रों में फ्लाईओवर, अंडरपास व एलिवेटेड कारिडोर का निर्माण किया जाए। जिससे जल, जंगल और वन्यजीवों का संरक्षण हो सके।
क्या होगा फायदा
वर्तमान भोपाल बायपास नर्मदापुरम रोड पर भैरोपुर से कोकता होते हुए सूखी से सेवनिया, अरलिया, कुराना, भौरी से भोपाल-इंदौर रोड तक बना है। यह 52 किमी लंबा है। यह बायपास होने के बाद भी कई वाहन शहर के अंदर से गुजरते हैं। वजह यह है कि यह रिंग रोड नहीं है, उसका आधा हिस्सा है। रिंग रोड को पूरा करने के लिए वेस्टर्न भोपाल बायपास प्लान किया गया है। इसके बनने का यह फायदा होगा कि नर्मदापुरम, जबलपुर, इंदौर से सीधी कनेक्टिविटी बेहतर होगी। शहर के उत्तरी-दक्षिण हिस्से से ट्रैफिक नए बायपास से ही बाहर निकल जाएगा। नर्मदापुरम, जबलपुर से इंदौर की ओर जाने वाले वाहनों को भीतर से गुजरने की जरूरत नहीं होगी। इससे यात्रा का समय कम से कम 15-20 मिनट कम हो जाएगा। वाहनों का ईंधन भी बचेगा।
कम नहंी है नुकसान
वेस्टर्न बायपास के लिये कैंचमेंट में सड़क बनने से रुकेगा बड़े तालाब का पानी। यह सड़क करीब 12 किलोमीटर बड़े तालाब के 12 कैचमेंट गांव और कुलांस नदी के बहाव क्षेत्र से होकर गुजरेगी। दरअसल भोपाल के बड़े तालाब में पानी, सीहोर और इसके आसपास के गांवो से बहकर आता है। यदि इसके बीच सड़क बना दी जाती है, तो वर्षा का पानी बड़े तालाब में नहीं पहुंचेगा। इससे अच्छा होता कि पुराने भोपाल-रायसेन मार्ग, जो नीलबड़, रातीबड़, सरवर और झागरिया होकर सीहोर बायपास में जुड़ता है। इस सड़क को सिक्सलने कर दिया जाए। इससे निर्माण की लागत भी घटेगी और कैचमेंट का क्षेत्र भी प्रभावित नहीं होगा।
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