हम भ्रमित थे हमें क्या फर्क पड़ता है सीएए पर शाहीन बाग के लोगों खुलकर कही दिल की बात

Mar 15, 2024

नई दिल्ली । संकरी गलियों में छिपती सूरज की किरणों के बीच खामोश शाहीन बाग। माह-ए-रमजान में जोहर की नमाज पढ़ने जाते और लौटते रोजेदार। पुलिस का पहरा। अपनी-अपनी दिनचर्या में मशगूल लोग। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नाम पर तैनात पुलिस बल के सिवाय सड़कों पर कोई हलचल नहीं। सीएए के विरोध में करीब चार साल पहले चार माह तक आंदोलनरत रहे शाहीन बाग में गुरुवार को यही नजारा देखने को मिला। सीएए का विरोध करने वालों का सोच बदलता नजर आया। धरने पर बैठने वाली महिलाओं-पुरुषों के मन में पैदा हुईं आशंकाएं दूर होती देखी गईं। 15 दिसंबर 2019 को संसद में सीएए के पास होने पर शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। महिलाएं-पुरुष सड़क पर धरने पर बैठ गए थे।

खासकर महिलाओं का यह धरना-प्रदर्शन चार माह तक चला था। कोरोना की वजह से धारा 144 लागू होने के बाद दिल्ली से पुलिस ने धरना खत्म करा दिया था। अब सीएए लागू हो गया है। मगर यहां माहौल बिल्कुल जुदा है। कपड़े की दुकान करने वाले हनीफ से सीएए के बारे में बात करनी शुरू की तभी वहां खड़ी शबाना तपाक से बोल पड़ीं, अब प्रदर्शन और विरोध की जरूरत नहीं है। मुसलमानों को इस कानून से कोई परेशानी नहीं है। हनीफ भी उनकी हां में हां मिलाते नजर आए। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक हथकंडा है। राजनीतिक दल चाहते हैं कि हम धरना-प्रदर्शन करें और वे अपने हिसाब से फायदा उठाएं। हम यहां के नागरिक हैं और हमेशा रहेंगे। कोई हमें नहीं भगा सकता है। पूर्व में हुए धरना-प्रदर्शन के सवाल पर उन्होंने कहा,तब लोगों ने हमें बताया था कि सीएए के जरिये मुसलमानों को देश से निकालने की कोशिश की जा रही है। इससे डर कर हमारे घर की महिलाएं धरने पर बैठी थीं।

अब हमें पता चला है कि ऐसा कुछ नहीं है। मस्जिद के इमाम पूछने पर कुछ देर खामोश रहने के बाद बोले कि यह कानून देश और समाज को बांटता है। कानून के जरिये केवल राजनीति की जा रही है। इससे ज्यादा कानून से कुछ नहीं होगा। फल बेच रहे सलीम ने कहा हमें केवल रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली के अलावा दूसरे विषय पर बात नहीं करनी है। जब उनसे योजनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना बहुत अच्छी हैं शाहीन बाग के वासिद कहते हैं कि मुसलमानों को इस कानून से डरने की जरूरत नहीं है। शाहीन बाग में काफी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। यहां अब सुरक्षाकर्मियों को इतनी संख्या में तैनात करने की जरूरत नहीं है। हम अमन से रह रहे हैं। हमें कोई धरना प्रदर्शन नहीं करना है। हमें इस कानून का कोई नुकसान और न ही कोई फायदा है।


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