दुनिया का साथ शमशान तक हो सकता है
Ags 17, 2024
परंतु ईश्वर की यात्रा तो अनंत तक की है , ईश्वर माँ की कोख में भी तुम्हें संभाला था , इस दुनिया में भी तुम्हारे साथ है और जब तुम उस दुनियाँ से अनंत की यात्रा की तरह निकलोगी तब भी तुम्हारे साथ होगा इसलिए कहते हैं जो कुछ भी तुम्हारी ज़िंदगी में होता है वह अच्छे के लिए ही होता है क्योंकि ईश्वर की मर्ज़ी से ही तुम्हारी ज़िंदगी में कुछ होता है ईश्वर जो करता है समझ लो अच्छे के लिए ही करता है तुम भले ही खुद को यह समझोगे तुम मैंने यह काम किया है उसने यह काम किया है जब तक उसका साथ नहीं है तब तक कुछ नहीं कर सकते हो यह बात वेदांत संत लाल साई महाराज ने संत हिरदाराम के टेंपल ऑफ संबोधि में आयोजित सत्संग प्रवचन कार्यक्रम के दौरान कहीं इस अवसर पर जहां शहीदों को 15 अगस्त के अवसर पर याद किया गया वहीं टेंपल आफ संबोधि परिवार से जुड़े वरिष्ठ जनों की याद में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। डिमंशिया एक बीमारी है जिसे भूलने की बीमारी कहा जाता है साईं ने कहा कि भूलना बीमारी है
या याद रखना बीमारी है ? अगर मेरी नजर से देखा जाए तो याद रखना एक बड़ी बीमारी है क्योंकि व्यक्ति अपने जीवन में घटित दुख के पलों को कभी नहीं भूल पाता इसलिए कि वो किसी को माफ़ भी नहीं कर पाता । माफ करना और याद करना में और बोलना मैं अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर मान लो किसी ने आपका बुरा कर दिया है और उसे माफ़ कर देते हैं लेकिन इस घटना को भुला ही नहीं पाते तो समझ लो माफ़ी देने का कोई फ़ायदा नहीं हुआ ,और अगर आप मन से ही उस घटना को भूल जाते तो समझ लो माफ़ करने की ज़रूरत ही नहीं है , जीवन में न भूलना एक बीमारी है इसलिए अगर अवसाद से डिप्रेशन से बाहर निकलना है तो दुखद घटनाओं को याद रखने का प्रयास न करें इस अवसर पर जहां साईं की मां और टेंपल आप संबोधि के सदस्यों की याद में भावुकता भरे गीत गए वहीं वीर शहीदों और बलिदान देने वाले रणबाकुरों को भी 78 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर याद किया गया। यहां स्वतंत्रता के कई तरह ने भी गए गए जिस पर अनेक लोग झूम उठे।