जो जीता चांदनी चौक उसी पार्टी की बनती है सरकार

Apr 16, 2024

नई दिल्ली । चांदनी चौक वैसे तो क्षेत्रफल के हिसाब से देश की सबसे छोटी संसदीय सीट है, लेकिन देश का मूड तय करने वाली मानी जाती है। इस सीट पर अब तक 16 चुनावों में ज्यादातर वक्त केंद्र की सत्ता उसी पार्टी के पास रही, जिस पार्टी के प्रत्याशी की यहां से जीत हुई। सिर्फ दो बार ही ऐसा हुआ कि यहां से जीत दर्ज करने वाले प्रत्याशी की सत्ता केंद्र में नहीं रही। 16 चुनावों में 9 बार कांग्रेस 6 बार बीजेपी (जनसंघ समेत) ने बाजी मारी है। 1977 में जनता पार्टी ने भी एक बार इस सीट से जीत दर्ज की थी। यहां वोटरों की संख्या करीब 15,61,828 है। इस सीट से बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन मौजूदा सांसद हैं।

चांदनी चौक 1956 में पहली बार लोकसभा सीट बनी। 1957 में चुनाव हुए और कांग्रेस के राधा रमन ने जीत दर्ज की। 1962 में हुए चुनावों में भी जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया और कांग्रेस प्रत्याशी को भारी जनसमर्थन दिया। 1967 में पहली बार भारतीय जनसंघ की इस सीट से खाता खोला। 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार आम आदमी पार्टी की इस सीट से लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई। लेकिन, आप प्रत्याशी बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन से हार गए। कांग्रेस प्रत्याशी कपिल सिब्बल तीसरे नंबर पर रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां की जनता ने डॉ. हर्षवर्धन पर भरोसा जताया

चांदनी चौक लोकसभा में वोटरों की संख्या 15,61,828 है। इसमें पुरुषों की संख्या 8,48,303 और महिला वोटरों की संख्या करीब 7,13,393 है। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि 2004 के चुनाव तक चांदनी चौक देश का सबसे छोटा निर्वाचन क्षेत्र माना जाता था। 2008 में हुए डिलिमिटेशन में बाहरी दिल्ली से कुछ विधानसभा क्षेत्रों को इसमें शामिल किया गया। इस तरह से अब दिल्ली के अन्य संसदीय क्षेत्रों की तरह चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र में भी दस विधानसभा क्षेत्र हैं। इस सीट पर वैश्य समुदाय के वोटरों की सबसे अधिक संख्या मानी जाती है। राजनीतिक दलों का आकलन है कि इस संसदीय सीट पर लगभग 17 फीसदी वैश्य वोटर हैं, जबकि 14 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के हैं। इनमें से अधिकांश मटिया महल और बल्लीमारान क्षेत्रों में हैं। इनके अलावा लगभग 14 प्रतिशत पंजाबी और लगभग 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग के हैं।


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