आदिवासियों के सबसे बड़े संगठन जयस में फूट

Nov 08, 2023

भोपाल । मप्र में चुुनावी बिगुल बजने से पहले चुनाव लडऩे की घोषणाकर भाजपा और कांग्रेस की परेशानी बढ़ाने  वाला जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानि जयस में फूट पड़ गई है। इससे भाजपा और कांग्रेस को आदिवासी बहुल सीटों पर राहत मिल सकती है। दरअसल, संगठन द्वारा समर्थित प्रत्याशी उतारने के बाद से जयस के प्रदेशाध्यक्ष रामदेव ककोडिय़ा ने संगठन के सभी दायित्वों से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उन्होंने टिकट वितरण में संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर मनमानी के भी आरोप लगाए हैं। हालांकि संगठन के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इससे साफ इंकार किया है। ककोडिय़ा के कदम को किसी राजनीतिक दल के दबाव या प्रभाव में आकर लिया बताया है। उनके इस्तीफे को जयस में बड़ी टूट के तौर पर देखा जा रहा है।

जय आदिवासी युवा शक्ति मप्र विधानसभा चुनाव को लेकर पिछले कुछ सालों से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जमावट कर रहा था। हालांकि प्रदेश में जनजाति वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। पूर्व में संगठन ने सभी आरक्षित सीटों पर प्रत्याशी उतारने की रणनीति पर काम किया था, लेकिन चुनाव में संसाधनों की कमी के चलते केवल उन्हीं सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जहां से समाज के लोगों ने नाम आगे बढ़ाए थे।

गौरतलब है कि जयस ने 18 निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया है। पूरी टीम चुनाव की रणनीति पर काम कर रही है। प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी सभाएं एवं कार्यक्रम कर रहे हैं। इसी बीच जयस के प्रदेशाध्यक्ष रामदेव ककोडिय़ा ने 7 नवंबर को अचानक प्रदेशाध्यक्ष के साथ-साथ जयस के सभी दायित्व छोडऩे का ऐलान कर दिया है। इसके पीछे उन्होंने पारिवारिक वजह बताई है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा को इस्तीफा भेजा है। जिसमें लिखा है कि ‘जयस के प्रदेशाध्यक्ष के पद पर पिछले 6 महीने से काम कर रहे हैं। पारिवारिक कारणों से काफी समय से संगठन के कार्यों को करने में अक्षम हूं। घर की जिम्मेदारियों के कारण आगे संगठन के कार्य नहीं कर पाऊंगा, लेकिन पुरखाओं की विचारधारा और पीली क्रांति को आदिम समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य निरंतर जारी रहेगा।’ हालांकि उन्होंने इस्तीफा की एक वजह यह भी बताई के प्रत्याशी चयन में उनका मत नहीं जाना गया। संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मनमानी की है।

ये हैं चुनावी मैदान में

जयस ने जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया है उनमें  अलीराजपुर से नवल मंडलोई, थांदला से माजूसिंह डामोर, सरदारपुर से राजेन्द्र गामड़, पेटलावद से बालू सिंह, टिमरनी से जयकुमार उइके, मांधाता से राहुल चंदेल, भीकनगांव से सुरेश मुलाल्दे, बड़वाह से शांतिलाल आरवे, भगवानपुरा से मोहन किराड़े, झाबुआ से अमर सिंह भावोर, जोबट से श्रीमती रिंकू बाला डाबर, नेपानगर से बिल्लौर सिंह जमरा, महू से प्रदीप मावी, रतलाम से ग्रामीण डॉ अभय होरी, महेश्वर से डॉ मंशाराम सोलंकी, बैतूल से हेमंत सरियाम, राजपुर से सुनील सोलंकी और पानसेमल रमेश चौहान शामिल हैं। जयस प्रदेशाध्यक्ष रामदेव ककोडिय़ा के इस्तीफे पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि इस्तीफे का करण उन्होंने पारिवारिक समस्या के साथ टिकट वितरण भी बताया है। यदि वे जयस समर्थित प्रत्याशी के चयन से इतने नाराज थे, तो फिर अभी तक अपनी बात क्यों नहीं रखी। वे संगठन की चुनावी रणनीति में शामिल थे। मालवा क्षेत्र में प्रचार के लिए मंगलवार को इंदौर में बैठक रखी गई। बैठक से पहले ही उन्होंने इस्तीफा भेज दिया है। बताया गया कि ककोडिय़ा के करीबी जयस से जुड़े नेता खुद कांग्रेस नेताओं के साथ घूम रहे हैं। रामदेव ककोडिय़ा का कहना है कि पारिवारिक कारण भी वजह है। साथ ही संगठन ने समर्थित प्रत्याशी के चयन में उनकी राय नहीं ली गई है।

संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मनमानी से प्रत्याशी चयन किए हैं। इसके पीछे कई वजह भी हो सकती है। हो सकता है किसी दल विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए सिर्फ वोट काटने के लिए कमजोर प्रत्याशियों को जयस का समर्थन दिया हो। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा का कहना है कि मुुझे भी अभी पता चला है। उन्होंने किसी के दबाव या प्रभाव में आकर संगठन से इस्तीफा दिया है। प्रत्याशियों को समर्थन देने से पहले सभी पदाधिकारियों से चर्चा हुई। वे चुनावी रणनीति के हिस्सा हैं। आज वे प्रचार के लिए इंदौर आने वाले थे। जयस मप्र में अस्तित्व बचाने की लड़ाई बड़े दलों से लड़ रहा है। वैसे भी चुनाव में लोग एक पार्टी छोडक़र दूसरी में जा रहे हैं। टिकट को लेकर जो बात उन्होंने कही है, वह गलत है।





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