पुराने शहर में सीवेज बना एक बड़ी समस्या, बहता है नालियों में
Sep 13, 2024
भोपाल। राजधानी में अब नये सिरे से सीवेज मैनेजमेंट सिस्टम बनाया जा रहा है लेकिन पुराना भोपाल इससे अछूता है। इसके चलते अब नल की तरह ही निवासियों को सीवेज कनेक्शन लेना होगा। गौरतलब है कि पिछले दो साल से शहर में चल रहा सीवेज नेटवर्क का काम जिन क्षेत्रों में पूरा हो गया है, वहां घरों की सीवेज लाइन को नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है और इसके लिए नगर निगम 3000 से 4500 रुपए तक वसूल रहा है। सीवेज नेटवर्क बिछने के साथ ही घरों में सीवेज के कनेक्शन का काम शुरू हो गया है लेकिन पुराने शहर में हालत खराब है। वहां पर आज भी नालियों में सीवेज बहता है जिसको दुरूस्त करना एक बड़ी चुनौती है।
अभी यह हैं हाल
निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि शहर में 1,873 किमी सीवेज लाइन बिछी हुई है। लेकिन 80 फीसदी से अधिक क्षेत्र में व्यवस्थित सीवेज नेटवर्क नहीं है। कॉलोनियों में सीवेज चैंबर बनाकर उसे पास के नाले से जोड़ दिया गया है। शिवाजी नगर से लेकर टीटी नगर तक सरकारी मकानों के लिए बिछाया गया नेटवर्क भी अब ध्वस्त हो गया है। करीब 15 साल पहले एडीबी प्रोजेक्ट में 130 किमी सीवेज लाइन बिछाई गई थी। इसके पहले भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट में 86 किमी नेटवर्क बिछाया गया था, लेकिन दोनों को ही घरों से नहीं जोड़ा जा सका।
पुरानी लाइनों का भी होगा सर्वे
शहर में पिछले दो साल से सीवेज नेटवर्क का काम चल रहा है। इसके अलावा जो पुरानी सीवेज की लाइनें डाली गयी थी उनका भी सर्वे किया जाएगा कि वह किस हालत में हैं। माहौली- दामखेड़ा का एसटीपी चालू हो गया है। इसे भोज वेटलैंड परियोजना के तहत बने पंप हाउस से जोड़ दिया गया है। नीलबड़ और कोहेफिजा क्षेत्र की शिरीन नदी पर बन रहे एसटीपी का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। इसके बाद नीलबड़ समेत पूरे भदभदा क्षेत्र के साथ बाणगंगा, गिन्नौरी, फतेहगढ़, एमएलबी कॉलेज, नॉर्थ टीटी नगर, प्रोफेसर्स कॉलोनी के क्षेत्रों में घरों में सीवेज के कनेक्शन का काम शुरू किया जा रहा है।