बच्चों को मौसमी बीमारियों से बचायें
Sep 28, 2024
बारिश का मौसम जाते-जाते भी कई बीमारियों को बढ़ा देता है। सितंबर की शुरुआत होते ही मौसम में बदलाव शुरु हो जाते हैं। इस मौसम में कभी बारिश और कभी तेज धूप के कारण तापमान बदलता रहता जो बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह होता है। इससे उन्हें खांसी, जुखाम और बुखार का खतरा बढ़ जाता है। मौसम में बदलाव के कारण संक्रमण भी तेजी से होता है।
इस से जीवाणुओं और विषाणुओं को पनपने का भरपूर मौका मिलता है। मक्खीमच्छर इसी मौसम में सब से ज्यादा पनपते हैं।इस मौसम में पाचनतंत्र भी धीमा हो जाता है, जिस से शरीर की रोग प्रतिरोधी ताकत भी कमजोर हो जाती है। शरीर की रोगाणुओं और विषाणुओं से लड़ने की ताकत कम हो जाती है और संक्रामक रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि इस मौसम में अपने स्वास्थ्य पर तो ध्यान दे हीं, परिवार के सदस्यों को भी रोगों से बचायें।
बारिश के बाद गंदा पानी संक्रामक रोगों के फैलने का बहुत बड़ा कारण है। जगहजगह गंदे पानी के जमाव की वजह से कीटपतंगों व मक्खीमच्छरों के पनपने की आशंका होती है। मच्छरों के काटने से मलेरिया तथा डेंगू फैलता है। गंदे पानी से हैजा, टायफाइड, डायरिया, हैपेटाइटिस जैसी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है। मौसम के तापमान में अचानक गिरावट आ जाने तथा सर्द हवाओं की वजह से खांसीजुकाम, निमोनिया, टौंसिलाइटिस, त्वचा संबंधी रोग, आंखों का रोग जैसे कंजंक्टिवाइटिस के होने की भी आशंका बनी रहती है।
समय पर कराएं इलाज
मच्छरों से मलेरिया, डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियां ज्यादा होती हैं। इन के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही से परिणाम घातक हो सकता है। डेंगू काफी खतरनाक रोग होता है। यह बड़ेबूढ़ों के साथ बच्चों को भी संक्रमित करता है, इसलिए इस की थोड़ी सी भी शंका हो यानी मरीज को तेज बुखार, उलटियां, कमजोरी, सिरदर्द होने लगे तो तुरंत इलाज कराएं।
यदि इस मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी या बुखार होने लगे, तो तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। बहुत छोटे बच्चों को मौसम बदलने की वजह से खासकर श्वसनतंत्र की बीमारियां, जैसे निमोनिया होने की प्रबल संभावना होती है। इस का भी इलाज समय से कराना जरूरी होता है।
बेहतर है बचाव
कहते हैं इलाज से बेहतर है बचाव। इसलिए इन दिनों पर्याप्त सावधानी बरती जाये तो बीमारियों से बचा जा सकता है।
खाने में नमक का प्रयोग कम से कम करें, क्योंकि इस से गैस तो बनती ही है, शरीर में पानी का जमाव भी होता है।
अत्यधिक तले भोज्यपदार्थों से परहेज करें, क्योंकि इस मौसम में पाचन क्षमता कमजोर होती है। जिन में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे करी आदि, को न लें।
घर को अंदर तथा बाहर से हमेशा साफ तथा सूखा रखें।
घर के आंगन में या बाहर आसपास बारिश के पानी को जमा न होने दें।
शरीर को ढक कर रखें. कम तापमान होने पर संक्रमण की संभावना होती है।
एसी वाले कमरे में भीगे केश तथा भीगे कपड़े पहन कर न जाएं।
पैर गीले हों तो सुखा लें। उन्हें गीला मत छोड़ें।
खूब पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न होने पाए।