"अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस की पूर्व संध्या पर ब्रह्माकुमारी सुख शांति भवन में कार्यक्रम आयोजित"
Nov 25, 2024
"ध्यान और आत्मिक सशक्तिकरण द्वारा पा सकते हैं महिला हिंसा पर विजय"
"बचपन से ही बच्चों को समानता की शिक्षा देना आवश्यक"
"प्रजापिता ब्रह्मा कुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय है नारी सशक्तिकरण की अद्वितीय मिसाल"
राजयोग से महिलाएं बनी शिव शक्ति
अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी सुख शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर नीलबड़ भोपाल में अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शहर की विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिला अधिकारी तथा ग्रहणी महिलाएं भी शामिल हुई जो राजयोग का अभ्यास नियमित रूप से कर रही हैं। उन्होंने अपने सफलता के सूत्र सभी से साझा किए।
कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉक्टर दीप्ति दाते (सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट), नंदिता साहू (ब्रांच मैनेजर बैंक ऑफ़ बड़ौदा), डॉक्टर श्रेष्ठा धीमान (समाज सेविका) एवं आर्किटेक्ट राजयोगिनी बीके दुर्गा दीदी जी उपस्थित थे।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मतलब सिर्फ़ शारीरिक हिंसा से नहीं है। वल्कि यह बहुत ही व्यापक विषय है और इसमें भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय दुर्व्यवहार शामिल हैं। राष्ट्रीय योजनायें महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा के दो मुख्य प्रकारों को परिलक्षित करती है - घरेलू और पारिवारिक हिंसा। यह कहना था डॉक्टर श्रेष्ठा धीमान का, जिन्होंने अपने घर पर आने वाली एक महिला सहयोगी का उदाहरण देते हुए कहा कि शराब के नशे में उस महिला का पति उसे किस प्रकार प्रताड़ित करता है परंतु वह सब कुछ सहते हुए अपने घर की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए घर से निकलने पर मजबूर है।
इसी प्रकार ब्रांच मैनेजर श्रीमती नंदिता साहू जी ने बताया कि कई बार ऐसे कस्टमर का उन्हें सामना करना पड़ता है जो एक महिला होने के कारण उन पर दबाव बनाने की भी कोशिश करते हैं उन्होंने अपने अनुभव से साझा किया कि मेडिटेशन राजयोग ध्यान मेडिटेशन के अभ्यास के कारण उन्हें आत्मिक शक्ति करण अनुभव किया है एवं शांत मन के द्वारा ऐसी अनेक प्रकार की परिस्थितियों का सामना सफलता पूर्वक कर पाती हैं।
इसी प्रकार कार्यक्रम में पधारी सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर दीप्ति दाते जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार आज भी महिलाओं पर वारिस को जन्म देने का दबाव बनाया जाता है जो की ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक दिखाई देता है।इस प्रकार के दबाव के कारण महिलाओं पर अनावश्यक मानसिक तनाव एवं भावनात्मक कमजोरी भी दिखाई देती है।साथ ही साथ सोशल मीडिया, कई प्रकार के अनुचित एप्स एवं इंटरनेट के माध्यम से भी आज समाज में इस तरह के उत्पीड़न के अनेक मामले सामने आ रहे हैं। इन सब के चलते राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दुर्गा दीदी जी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह पूर्व में आर्मी में आर्किटेक्चर रह चुकी है। एवं सबसे मिलते हुए पहले जो अनुभव करती थी तथा एक ब्रह्माकुमारी बनने के बाद उन्होंने अपने जीवन में परिवर्तन अनुभव किया।
उन्होंने बताया कि ब्रह्माकुमारी संस्थान विश्व में एकमात्र ऐसी संस्थान है जिसकी सभी 145 देश में जो भी शाखाएं हैं सब की हेड अथवा इंचार्ज बहने एवं माताएं हैं और सुचारू रूप से पूरा ही कारोबार किस प्रकार एक परमात्मा की याद से चलता है। विश्व में यह एक मिसाल है और एक मात्र ऐसी संस्था है जहां पुरुषों और महिलाओं को समान दृष्टि से देखा जाता है। दोनों ही सभी प्रकार के कार्यों में समान रूप से हिस्सा लेते हैं जैसे भोजन बनाने आदि का कार्य अथवा बाहर कोई भी अनुशासनिक कार्य दोनों में भाइयों और बहनों दोनों की समान भागीदारी से कार्य सुचारू रूप से होता है।एक दूसरे के प्रति सम्मान का एवं उच्च दृष्टिकोण रहता है। उन्होंने एक छोटी सी बात बताते हुए कहा कि जब रास्ते पर कोई महिला कार ड्राइव करते हुए जाती है तो कई लोग कटाक्ष करते हैं जिसका अनुभव उन्होंने भी किया है परंतु जब वे संस्था से जुड़ी एवं उन्होंने समर्पित जीवन जीना शुरु किया तथा यूनिफॉर्म को धारण किया तो उन्होंने पाया की सभी की दृष्टि बहुत उच्च एवं सभी बहुत सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हैं।
अतः प्राचीन राजयोग एकमात्र ऐसी विधा है जिसको जीवन में अपना कर हमें बढ़ती हुई कुरीतियों को समाज से संपूर्णतः हटा सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में सभी को ध्यान अभ्यास कराया गया। तथा कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन ब्रह्माकुमारी साक्षी बहन द्वारा किया गया। साथ ही कार्यक्रम की पश्चात सभी को ईश्वरीय प्रसाद भी दिया गया।