जापान की सियासत: जिन पर घपले घोटाले के आरोप लगे वही बन गए किंगमेकर

टोक्यो,। जापान के चुनावी मैदान में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब कई ऐसे नेता पुनः चुनाव जीत गए, जिन पर घोटाले के आरोप लगे थे। इनमें पूर्व अर्थव्यवस्था मंत्री कोइची हागिउदा भी शामिल हैं, जिन्हें पार्टी का आधिकारिक समर्थन नहीं मिला था। हागिउदा ने कड़े मुकाबले में अपनी सीट जीतकर किंगमेकर की भूमिका हासिल कर ली है। उनके साथ ही अन्य नेता भी, जो पूर्व में घोटालों के आरोपों में घिरे थे, अब किंगमेकर की स्थिति में हैं और सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जापान की राजनीति में हाल के घटनाक्रम ने एक नए दौर की शुरुआत कर दी है, जहां घोटालों के आरोपों से घिरी सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) को आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। 

इस हार के कारण प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को सत्ता में बने रहने के लिए अब किसी तीसरे दल से गठबंधन करना होगा। निचले सदन में बहुमत खो देने से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है और गठबंधन पर एलडीपी का नियंत्रण कमजोर हो गया है। इस नए समीकरण में हर विधेयक पारित करने के लिए किसी तीसरे दल का समर्थन आवश्यक होगा, जिससे नीति निर्माण प्रक्रिया अधिक जटिल और समय-साध्य हो जाएगी।जापान की राजनीति में इस अस्थिरता का बीज कुछ महीने पहले बोया गया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने राजनीतिक फंड घोटाले के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एलडीपी ने किशिदा को हटाकर शिगेरु इशिबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, लेकिन पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका। अब, पार्टी उन्हीं सांसदों पर निर्भर है जो घोटालों में आरोपित थे, लेकिन जिन्होंने चुनाव जीतकर अपनी सीटें बरकरार रखीं। इस स्थिति से जापान की राजनीति में अस्थिरता का नया दौर शुरू हुआ है। अब शिगेरु इशिबा को गठबंधन की आवश्यकता के चलते अन्य दलों के समर्थन के लिए समझौते करने होंगे। 


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