केरवा -कलियासोत के अतिक्रमण पर अधिकारी मेहरबान
Ags 24, 2024
- 84 जगह पर सरकारी जमीन पर कब्जा, नोटिस तक नहीं दिया
भोपाल। एनजीटी की तमाम सख्ती के बाद भी राजधानी के केरवा और कलियासोत के अतिक्रमण पर प्रशासन की लगाम नहीं लगपायी है। हालत यह है कि एनजीटी को केरवा-कलियासोत मामले में शासन की ओर से शपथपत्र पर जानकारीदी गयी है कि इस क्षेत्र में सभी अतिक्रमणकारियों को नोटिसज् जारी किये गये हैं लेकिन हकीकत मेंयह हालत है कि वहां पर 84 से अधिक जगहों की सरकारी जमीन पर रसूखदारोंका कब्जा है लेकिन इनको कोई नोटिसनहीं दियागया है।
इस संबंध में एनजीटी में याचिका लगाने वाले डॉ सुभाष पांडे ने लगाए आरोप, कहा रसूखदारों पर नगर निगम की रही मेहरबानी, कलियासोत की सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले 84 लोगों को नहीं दिया नोटिस
क्या क्या सामने आया
केरवा-कलियासोत संबंधी केस में एनजीटी के समक्ष मध्यप्रदेश शासन की ओर से झूठी जानकारी पेश की गई है। शासन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सभी 129 अतिक्रमणकारियों को नोटिस दिए जा चुके हैं। जबकि रिपोर्ट की पड़ताल पर पता चला है कि कलियासोत जलाशय पर चिन्हित किए गए कुल 96 अतिक्रमणकारियों में से 84 शासकीय भूमि पर कब्जा किए हुए हैं। इनमें से अभी तक किसी को भी नोटिस नहीं दिया गया। जबकि 12 निजी अतिक्रमणकारियों में से 11 को नोटिस दिए गए लेकिन उसमें भी ऐसी गलतियां की गईं जिससे उन्हें स्टे आॅर्डर मिल सके।
एफटीएल को भी दिखाया कम
जलाशयों की केएमएल फाइल को जब गूगल अर्थ पर रखकर देखा गया तो पता चला कि इनके एफटीएल को भी कम बताया गया है। जिससे पानी से सटे अतिक्रमणकारियों को बचाया जा सके।
दोनों समितियों की रिपोर्ट भी विरोधाभासी
एनजीटी के निर्देश पर वर्ष 2022 में एक समिति गठित की गई थी उसके बाद मुख्य सचिव ने एक समिति बनाकर दोनों जलाशयों की जांच कराई। दोनों की रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष पेश की गई है। लेकिन यह दोनों रिपोर्ट बिल्कुल विपरीत हैं। दोनों जलाशयों का क्षेत्रफल दोनों रिपोर्ट में भिन्न-भिन्न दशार्या गया है। नई रिपोर्ट में केरवा डैम का क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर कम बताया गया है। पुरानी रिपोर्ट में बताया गया था कि कलियासोत जलाशय में कोई अतिक्रमण नहीं है जबकि केरवा में कुछ झुग्गियां एवं स्कूल का अतिक्रमण मिला था। जबकि नई रिपोर्ट में कुल 129 अतिक्रमण पाए गए हैं। पुरानी रिपोर्ट में बताया गया था कि जलाशयों में कोई भी अनट्रीटेड सीवेज मिलता नहीं पाया गया जबकि नई रिपोर्ट में कई नालों और गांवों का सीवेज सीधे मिलना बताया गया है। डॉ पांडे ने पुरानी भ्रामक रिपोर्ट देने वाले सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।