ननि घोटाला: 20 फाइलों की जांच अब 188 फाइलों तक पहुंची
Mei 02, 2024
इनमें से 178 फाइलें ड्रेनेज विभाग से जुड़ी, बढता जा रहा जांच का दायरा
भोपाल । नगर निगम इंदौर को फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपये का चूना लगाने के मामले में जांच कमेटी ने 20 फाइलों की जांच शुरू की थी लेकिन यह धीरे-धीरे 188 फाइलों तक पहुंच गई। इनमें से 178 फाइलें ड्रेनेज विभाग से जुड़ी हैं। नगर निगम अब ठेकेदारों द्वारा निगम से हड़पी गई करोड़ों रुपये की राशि की वसूली के लिए कानून के जानकारों से सलाह ले रहा है। जांच कमेटी संभवत: गुरुवार को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप देगी। इधर, निगमायुक्त शिवम वर्मा ने बताया कि फर्जीवाड़े में लिप्त पाए गए तीन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इनमें लिपिक राजकुमार सालवी और लेखा विभाग के वे दो कर्मचारी शामिल हैं, जिन्हें लिप्तता पाए जाने के बाद ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा गया था।
बुधवार को सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए गए।समिति की जांच में यह बात भी सामने आई है कि आरोपित ठेकेदारों ने पहले निगम के अन्य विभागों में छोटा-मोटा काम कर विश्वास जमाया। विश्वास जमने के बाद वे खुद ही फाइलें लाने-ले-जाने लगे और फर्जीवाड़े को अंजाम देने लगे। आरोपितों ने ड्रेनेज विभाग के अलावा ट्रेंचिंग ग्राउंड, उद्यान विभाग में भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा किया है। फर्जीवाडे़ का मास्टर माइंड एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अभय राठौर इसके पहले भी फर्जीवाड़े में पकड़ाने पर निलंबित हो चुका है। इसी तरह बर्खास्त किए गए चेतन भदौरिया की सेवाएं भी पूर्व निगमायुक्त के समय में समाप्त की जा चुकी हैं, लेकिन वह दोबारा निगम में आ गया। अब इस बात की भी जांच की जाएगी कि उसे दोबारा निगम में किसने रखा।
वसूली के रास्ते निकालने की कोशिश में जुटा निगम इस बीच ठेकेदारों द्वारा फर्जी बिलों के जरिए निगम से हड़पे गए करोड़ों रुपये की वसूली के प्रयास भी शुरू हो गए हैं।निगमायुक्त शिवम वर्मा ने बताया कि हम अधिवक्ताओं से इस संबंध में चर्चा कर रहे हैं ताकि कानूनी प्रविधानों के मुताबिक कार्रवाई कर सकें। हमने आरोपितों की संपत्ति की जानकारी भी निकाली है।
जांच के दौरान सामने आईं 188 फाइलों में से 178 फाइलें ड्रेनेज विभाग की हैं। शेष फाइलें जनकार्य विभाग, उद्यान व अन्य विभागों की हैं। इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि ड्रेनेज विभाग की तरह ही जलकार्य विभाग में भी गड़बड़ी हुई है। गौरतलब है कि कुछ वर्ष पहले शहर में बड़े पैमाने पर जल वितरण लाइनें बिछाई गई थीं। इस बारे में अपर आयुक्त निगम इंदौर सिद्धार्थ जैन का कहना है कि हमारी जांच लगभग 90 प्रतिशत पूरी हो गई है। उम्मीद है हम गुरुवार को रिपोर्ट शासन को सौंप देंगे।