शहर की साहित्यिक संस्थाओं ने दी ओज कवि पंवार राजस्थानी को श्रद्धांजलि
Feb 07, 2024
- अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भोपाल इकाई के तत्वावधान में ओज कवि हरि मोहन सिंह पंवार( पंवार राजस्थानी) को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भोपाल। दुखों में काम जो आये उसे हम मीत कहते हैं।
खुले काँटों पे सो जाये उसे हम प्रीत कहते हैं ।
वो मुजरा और ठुमका है जो सिक्कों पर उछलता है,
लहू से जो लिखा जाये उसे हम गीत कहते हैं । जैसी ओजस्वी रचनाओं के प्रणेता देश के विख्यात वीर रस के कवि पँवार राजस्थानी का 3 फरवरी 2024 शनिवार को सुबह निधन हो गया। 1 सितम्बर 1936 को राजस्थान के झालावाड़ में जन्मे हरि मोहन सिंह पँवार हिन्दी एवं अंग्रेजी में स्नातकोत्तर उपाधिधारी थे एवं मध्यप्रदेश के मंगलगढ़ में प्रधानाध्यापक के रूप में शासकीय सेवा में पदस्थ हुए तथा बाद में स्थानांतरित होकर भोपाल आ गये । राजस्थान की बलिदानी परम्परा से प्रभावित श्री पँवार की लेखनी से वीर रस की काव्य धारा प्रवाहित होने लगी और 1962 के चीनी आक्रमण के समय कवि सम्मेलनों के मंचों से काव्यपाठ कर आपने देश प्रेम की अलख जगाई । पँवार राजस्थानी के नाम से आपने मूर्धन्य कवि रामधारी सिंह दिनकर, डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन, डॉ. श्याम नारायण पांडे, गोपाल दास नीरज, बालकवि बैरागी, सोम ठाकुर, अशोक चक्रधर, शैल चतुर्वेदी, हरि ॐ पँवार, ताज भोपाली, कैफ भोपाली, बटुक चतुर्वेदी से लेकर वर्तमान कवियों तक तीन पीढ़ियों के साथ कवि सम्मेलनों के मंचों पर देशभक्ति की अलख जगायी। महाराणा प्रताप, पृथ्वी राज चौहान, राणा सांगा, बप्पा रावल, गोरा बादल, गुरुपुत्र फतेह सिंह - जोरावर सिंह, रानी पद्मावती, रानी कर्मावती, हाड़ा रानी, पन्नाधाय जैसी बलिदानी विभूतियों की गाथाओं पर आधारित आपकी कविताएँ बहुत प्रसिद्ध हुईं। आपकी रचनाओं का संकलन हिन्दुस्तान नहीं बदलेगा वर्ष 2021 में प्रकाशित हुआ।
आप अनेक वर्षों तक मध्यप्रदेश लेखक संघ के उपाध्यक्ष रहे। आपको प्राप्त अनेक सम्मानों में ताराचंद कर्वे सम्मान, श्रीकृष्ण सरल सम्मान, बालकवि बैरागी सम्मान, भारतीय राष्ट्र चारण सम्मान, राष्ट्र भारती सम्मान, अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान एवं इंजी. प्रमोद शिरढोणकर विरहमन स्मृति राष्ट्र प्रेरणा सम्मान उल्लेखनीय हैं ।
श्री पँवार का निधन साहित्य की अपूरणीय क्षति है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद व भोपाल की सभी साहित्यिक संस्थाएं उनके साहित्यिक योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और परमेश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति तथा परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की।
श्रद्धांजलि सभा में भोपाल की अनेक साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी की निदेशक एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भोपाल इकाई की अध्यक्ष डॉ नुसरत मेहदी, अभासाप की राष्ट्रीय मंत्री व निराला सृजन पीठ की निदेशक डॉ साधना बलवटे, परिषद् की महामंत्री सुनीता यादव।शीला मिश्रा, ममता बाजपेई, लेखक संघ के प्रादेशिक मंत्री गीतकार राजेन्द्र गट्टानी,कलामंदिर संस्था के अध्यक्ष डॉ गौरीशंकर गौरीश जी, लेखिका संघ की अध्यक्ष डॉ कुमकुम गुप्ता,
गीत गागर पत्रिका के सम्पादक गीतकार दिनेश प्रभात, बाल साहित्य शोध केंद्र के निदेशक महेश सक्सेना,
लघुकथा शोध केंद्र के उपाध्यक्ष गोकुल सोनी,
सकलपर्णा संस्था की अध्यक्ष अनिता सक्सेना,
आरिणी संस्था से डॉ मीनू पाण्डेय, वरिष्ठ काव्य मंच से व्ही के श्रीवास्तव, गीत गागर पत्रिका के संपादक दिनेश प्रभात,
दुष्यंत संग्रहालय से साहित्यकार अशोक निर्मल, वृक्ष मित्र सुनील दुबे एवं सुधि साहित्यकारों में राकेश कुमार वर्मा हैरत
दिनेश मालवीय अश्क अशोक कुमार घमेनिया, मनीष बादल, भोजपाल साहित्य संस्थान के सदस्य सुरेश पटवा, दीपक पंडित, लक्ष्मीकांत, चंद्रहास शुक्ल, डॉ अनिता तिवारी आदि ने उपस्थित होकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।